आरयू वेब टीम।
आज लोग स्वयंसेवक जैसा बनना चाहते हैं। इसका कारण यह है कि हम लोगों ने समाज के सामने आदर्श पेश किया है। हमें ऐसे ही अनुशासन से काम करना है। घर से लेकर बाहर तक एक उदाहरण प्रस्तुत करना जरूरी है। समाज की सेवा करने में हमें सक्रिय होना पड़ेगा। यह सजगता नियमित रूप से शाखा की साधना से ही आएगी। यह बातें रविवार को बिहार के मुज्जफरपुर में आयोजित स्वयंसेवकों के बौद्धिक प्रशिक्षण शिविर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कही।
संघ प्रमुख ने एक बड़ी बात करते हुए कहा कि हमारा संगठन क्षेत्रिय नहीं है। हमारे अंदर सेना जितन अनुशासन है। अगर संविधान इजाजत दे और जरूरत पड़ी तो हम बॉर्डर पर भी जाने को तैयार है। सेना को तैयार होने में छह सात महीना लगेगा, लेकिन संघ तीन दिन में तैयार हो जाएगा। यह हमारी क्षमता है। यह शक्ति संघ के अनुशासन से ही आ पायी है।
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वहीं भारत-चीन के युद्ध की चर्चा करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि जब चीन से हमारा युद्ध हुआ, तो सिक्किम सीमा क्षेत्र तेजपुर की पुलिस चीन के डर से भाग खड़ी हुई। उस समय संघ के स्वयंसेवक सीमा पर मिलिट्री फोर्स के आने तक डटे रहे व लोगों को ढांढ़स बढ़ाया। हमारे स्वयंसेवकों ने ऐसी जिम्मेदारी निभायी है।
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उन्होंने कहा कि 1940 के पहले सभी विचारकों के अनुसार हिंदुस्तान हिंदुत्ववादी देश था। सभी के विचार समान थे। सभी ने यह माना था कि हिंदुस्तान हिंदुवादी है। यह बातें उस समय की पुस्तकें कहती हैं। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इन विचारों में बदलाव आया। कार्यक्रम में मोहन भागवत के साथ मंच पर क्षेत्र संघचालक सिद्धिनाथ सिंह व महानगर संघचालक संजय मुरारका भी मौजूद थे।
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