बोले मोहन भागवत, “पड़ोसी श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश व नेपाल से हमें तेजी से बढ़ानी चाहिए मित्रता”

नागपुर मुख्‍यालय
वार्षिक समरोह को संबोधित करते मोहन भागवत।

आरयू वेब टीम। दशहरा के मौके पर राष्‍ट्रीय स्‍वंय सेवक के नागपुर स्थित मुख्‍यालय पर आयोजित होने वाले वार्षिक समारोह को आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया। जहांं मोहन भागवत ने कहा है कि कोरोना महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही, लेकिन भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर चीन ने किया वह तो पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट है। इस आक्रमण के खिलाफ भारत सरकार, प्रशासन, सेना तथा जनता ने खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्‍चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है। इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा।

पड़ोसी देशों से भारत के रिश्‍तों को लेकर आरएसएस चीफ ने कहा कि श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश (म्‍यंनमार) व नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, इन देशों के साथ हमें तेजी से दोस्‍ती बढ़ानी चाहिए।

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मोदी सरकार की सराहना करते हुए मोहन भागवत ने कहा है कि हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है। साथ ही हम सभी से मित्रता चाहते हैं, परंतु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले, झुका ले, यह हो नहीं सकता, इतना तो अब तक ऐसा दुःसाहस करने वालों को समझ में आ जाना चाहिए।

जहां आज ‘वोकल फॉर लोकल’…

त्‍योहारों के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा आज मोहन भागवत ने भी वोकल फॉर लोकल पर जोर देने को देशवासियों से कहा है। आरएसए चीफ ने कहा कि जहां आज ‘वोकल फॉर लोकल’ स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभ है। परंतु इन सबका यशस्वी क्रियान्वयन पूरा होने तक बारीकी से ध्यान देना पड़ेगा। इसीलिये स्व या आत्मतत्त्व का विचार इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में सबने आत्मसात करना होगा, तभी उचित दिशा में चलकर यह यात्रा यशस्वी होगी।

श्रीराम जन्मभूमि मामले में जनता ने समझदारी का परिचय…

वहीं राम मंदिर निर्माण को लेकर मोहन भागवत ने कहा है कि नौ नवंबर को श्रीराम जन्मभूमि मामले में अपना असंदिग्ध निर्णय देकर सर्वोच्च न्यायालय ने इतिहास बनाया। भारतीय जनता ने इस निर्णय को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया।”

भारत में महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम

कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा दिखाई देता है। भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं।

तुरंत पकड़े जाएं दोषी, कड़ी से कड़ी हो सजा 

वहीं अपराधियों के बचने पर आज आरएसएस प्रमुख ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि समाज में किसी प्रकार से अपराध की कोई घटना हो ही नहीं, अत्याचारी व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर पूर्ण नियंत्रण रहे और फिर भी घटनाएं होती हैं तो उसमें दोषी व्यक्ति तुरंत पकड़े जाएं और उनको कड़ी से कड़ी सजा हो, यह शासन प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अलावा “शासन-प्रशासन के किसी निर्णय पर या समाज में घटने वाली अच्छी बुरी घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देते समय या अपना विरोध जताते समय, राष्ट्रीय एकात्मता का ध्यान व सम्मान रखकर, संविधान कानून की मर्यादा के अंदर ही अभिव्यक्त हो यह आवश्यक है।”

पूजा से जोड़कर संकुचित किया गया हिंदुत्‍व का अर्थ 

आज मोहन भागवत ने यह भी कहा है कि हिंदुत्‍व ऐसा शब्द है, जिसके अर्थ को पूजा से जोड़कर संकुचित किया गया है। संघ की भाषा में उस संकुचित अर्थ में उसका प्रयोग नहीं होता। वह शब्द अपने देश की पहचान को, अध्यात्म आधारित उसकी परंपरा के सनातन सातत्य तथा समस्त मूल्य सम्पदा के साथ अभिव्यक्ति देने वाला शब्द है। संघ मानता है कि हिंदुत्‍व शब्द भारतवर्ष को अपना मानने वाले, उसकी संस्कृति के वैश्विक व सर्वकालिक मूल्यों को आचरण में उतारना चाहने वाले तथा यशस्वी रूप में ऐसा करके दिखाने वाली उसकी पूर्वज परंपरा व गौरव मन में रखने वाले सभी 130 करोड़ समाज बंधुओं पर लागू होता है।”

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वहीं अपने संबो‍धन से पहले मोहन भागवत ने आरएसएस के वरिष्‍ठ पदाधिकारियों के साथ शस्‍त्र पूजन किया। दूसरी ओर इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए वार्षिक समारोह कार्यक्रम के दौरान आरएसएस के 50 पदाधिकारियों को ही सभागार प्रवेश मिल सका।