आरयू वेब टीम।
दिल्ली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को जिंदगी भर के लिए सरकारी बंगला दिए जाने के मामले को आज सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने तगड़ा झटका दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने उस संशोधित कानून को रद्द कर दिया है, जिसके तहत मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल समाप्ति के बाद भी सरकारी आवास में बने रहने की छूट दी गयी थी।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के कानून में संशोधन मनमाना, पक्षपातपूर्ण और समानता की संवैधानिक अवधारणा का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी घर छोड़ना पड़ेगा।
उच्चतम न्यायालय ने इस आशय का निर्देश एक जनहित याचिका पर दिया। इस समय प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह, एनडी तिवारी आदि के पास सरकारी बंगला है। वहीं कुछ बंगले पूर्व मुख्यमंत्रियों के निधन के बाद भी आज तक उनके परिजनों के कब्जे में हैं।
ये बंगले न सिर्फ सूबे की राजधानी लखनऊ के वीवीआइपी इलाकों में हैं, बल्कि इनकी कीमत भी आज के समय में अरबों रुपए में हैं। वहीं सबसे मंहगें बंगले की बात की जाए तो ये मायावाती का है। मॉल एवेन्यु इलाके में करीब दो लाख वर्ग फिट में लाल पत्थरों से बना ये बंगला देखने पर किसी स्मारक सा प्रतीत होता है।
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सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को तगड़ा झटका लगना तय है, क्योंकि इन लोगों का न सिर्फ सरकारी बंगलों पर कब्जा है, बल्कि वहां पर नेताओं अपने हिसाब से अतिरिक्त निर्माण भी करवाया है।
यहां ये भी बताते चलें कि पिछली सरकार में पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले पर कब्जे को लेकर मामला उठने के बाद यूपी की अखिलेश सरकार ने एक विधेयक पास करवा कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास की सुविधा प्रदान की थी।
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