आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के उप मुख्ममंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि नौकरशाहों द्वारा प्रदेश सरकार के निर्देशों का पालन करने से इनकार करना अदालत की अवमानना के समान है और नेतृत्व इस विषय पर कानूनी विकल्प पर विचार कर रहा है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के एक दिन बाद सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों और केंद्र से फैसले का पालन करने की अपील की।
उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया कि उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार की सलाह मानने को बाध्य है और वह बाधा डालने वाले नहीं हो सकते। सिसोदिया ने गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुख्य सचिव ने मुझे पत्र लिखकर बताया कि सेवा विभाग आदेशों का पालन नहीं करेंगे। अगर वे इसका पालन नहीं कर रहे हैं और तबादले की फाइलें अब भी उप राज्यपाल देखेंगे तो यह संवैधानिक पीठ की आवमानना होगी।
उन्होंने कहा, ‘हम अपने वकीलों से सलाह-मश्विरा कर रहे हैं कि इस स्थिति में क्या किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि उपराज्यपाल केवल तीन विषयों में हस्तक्षेप कर सकते हैं जिनमें सेवा विभाग शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं अधिकारियों के साथ-साथ केंद्र से अपील करता हूं कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन करें।
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सर्वोच्च न्यायालय के कल ऐतिहासिक फैसले के कुछ घंटे बाद दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादलों और तैनातियों के लिए भी एक नयी प्रणाली शुरू की जिसके लिए मंजूरी देने का अधिकार मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिया गया है।
बहरहाल, सेवा विभाग ने यह कहते हुए आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया कि उच्चतम न्यायालय ने 2016 में जारी उस अधिसूचना को नहीं हटाया जिसमें तबादलों और तैनातियों का अधिकार गृह मंत्रालय को दिया गया था।
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