दिल्‍ली का बॉस कौन: न जीते LG न हारे केजरीवाल, एक क्लिक पर जानें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

दिल्ली का बॉस
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। 

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने गुरुवार को दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में अपना फैसला सुना दिया है। देश की राजधानी में अधिकारियों पर नियंत्रण और भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के अधिकार क्षेत्र जैसे मसले पर सुनाए गए इस फैसले पर मतभेद भी सामने आया है। यही वजह है कि दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण किसके पास रहे, इस पर सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की राय अलग-अलग रही। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सेवाओं के नियंत्रण पर अपना खंडित फैसला तीन जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया। अब यही बेंच तय करेगी कि दिल्‍ली का बॉस कौन होगा।

वहीं दो सदस्यीय बेंच एसीबी, राजस्व, जांच आयोग और लोक अभियोजक की नियुक्ति के मामले पर सहमत हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस अधिसूचना को बरकरार रखा है कि दिल्ली सरकार का एसीबी भ्रष्टाचार के मामलों में उसके कर्मचारियों की जांच नहीं कर सकता है।

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मामले की सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास जांच आयोग नियुक्‍त करने का अधिकार होगा। फैसले के तहत स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा।

वहीं, ऐंटी-करप्शन ब्रांच केंद्र के अधीन रहेगी, क्योंकि पुलिस केंद्र के पास है। रेवेन्यू पर एलजी की सहमति लेनी होगी। जबकि इलेक्ट्रिसिटी मामले में डायरेक्टर की नियुक्ति सीएम के पास होगी।

इस तरह से अलग रही राय

इसके अलावा आज जस्टिस सीकरी ने अपने फैसले में कहा कि ग्रेड-1 और ग्रेड-2 के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग केंद्र सरकार करेगी, जबकि ग्रेड-3 और ग्रेड-4 के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का मामला दिल्ली सरकार के अधीन होगा। यदि कोई मतभेद होता है तो मामला राष्ट्रपति को जाएगा। दो जजों की बेंच में शामिल जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि सर्विसेज केंद्र के पास रहेगा। ऐसे में दोनों जजों की राय बंट गई।

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बताते चलें कि जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की बेंच ने विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन्स को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले साल एक नवंबर को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। 2014 में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक अधिकारों के लिए गतिरोध जारी है। इसक बीच दिल्‍ली के सीएम बार-बार मोदी सरकार पर उपराज्‍यपाल पर आरोप भी लगाते रहें हैं, कि उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे कामों को तरह से तरह से रोका जा रहा है।

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