आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में हुए बवाल और शिक्षकों से मारपीट व अभद्रता के मामले पर हाईकोर्ट के तलब करने पर शुक्रवार को डीजीपी, एलयू के कुलपति, प्रॉक्टर, रजिस्ट्रार और एसएसपी हाईकोर्ट पहुंचे। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई।
डेढ घंटे तक चले मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पहले एलयू वीसी, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर को बारी-बारी बुलाकर घटनाक्रम के संदर्भ में जानकारी ली। इसके बाद जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश सिंह चौहान ने वीसी और प्रॉक्टर को पूरी घटना का ब्योरा एक हफ्ते के अंदर हलफनामें में देने का आदेश दिया है।
डीजीपी-एसएसपी को कोर्ट ने सुनाई खरी-खरी
वहीं जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश सिंह चौहान की बेंच के समक्ष प्रस्तुत हुए यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह और एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार को कोर्ट ने खरी-खरी सुनाते हुए सवाल किया कि जब एलयू के प्रॉक्टर व अन्य अधिकारी पहले ही इस प्रकार की घटना का अंदेशा जताते हुए पुलिस को आगाह कर चुके थे, तब भी पुलिस शिक्षकों के साथ इस तरह की घटना को रोकने में क्यों नाकाम रही? वहीं कोर्ट ने पूर्व में प्रॉक्टर के घर पर देर रात धमकी दिए जाने की घटना पर दर्ज की गई एफआइआर पर अब तक हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
पुलिस घटना से 50 मीटर की दूरी पर, लेकिन वह सोती रही
एसएसपी लखनऊ ने कोर्ट के सामने अपनी सफाई पेश की, लेकिन कोर्ट उनकी दलील से असंतुष्ट दिखी। कार्रवाई से असंतुष्ट अदालत ने डीजीपी और एसएसपी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि घटना के समय 50 मीटर की दूरी पर पुलिस मौजूद थी, लेकिन वह सोती रही। इस पर एसएसपी ने मारपीट की घटना राजनीति से प्रेरित बताते हुए पल्ला झाड़ना चाहा, जिस पर कोर्ट ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि आजकल सभी राजनीतिक दलों का यही काम रहा गया है।
कोर्ट ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षकों को खुलेआम अपराधी आकर पीट जाए। क्या अब यही व्यवस्था चलेगी? इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए मुख्य सचिव को एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके शाही और मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडेय उपस्थित हुए। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को रखी गई है।