आरयू वेब टीम।
दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले धरना-प्रदर्शनों पूरी तरह से रोक लगाने से आज सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों का शांतिपूर्वक धरना-प्रदर्शन करना मौलिक अधिकार है, और लोगों के शांतिपूर्ण तरह से रहने के अधिकार के बीच संतुलन भी जरूरी है। इसके लिए उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस मामले में गाइडलाइंस बनाने को कहा है।
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सर्वोच्च अदालत का कहना है कि जंतर-मंतर और वोट क्लब जैसी जगहों पर धरना-प्रदर्शनों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती। साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिए किया कि इस मामले में गाइड लाइंस बनाई जाएं ताकि उसके आधार पर धरना प्रदर्शन की मंजूरी दी सके।
एनजीटी ने स्थानीय लोगों की शिकायत पर लिया था फैसला
बता दें कि एनजीटी ने आस-पास के निवासियों की याचिका पर जंतर-मंतर पर धरनों पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। स्थानीय निवासियों ने इलाके में ध्वनि प्रदूषण की शिकायत की थी। धरने पर रोक लगाते हुए एनजीटी ने कहा था कि क्षेत्र प्रदर्शनकारियों द्वारा गंदगी फैलाने की स्थायी जगह बन गया है।
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पिछले साल दस अक्टूबर को लगायी गई थी रोक
नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और पुलिस जैसी निकाय संस्थाएं जंतर-मंतर और इसके आस-पास साफ सफाई रखने में नाकाम रही हैं। कुछ ऐसे प्रदर्शनकारी हैं जो गाय संरक्षण के नाम पर जंतर-मंतर रोड पर बैलगाड़ियों के साथ गायों को लेकर आते हैं, जिससे यहां के लोगों के लिए समस्या बढ़ जाती है। दिल्ली पुलिस ने पिछले साल 10 अक्टूबर से ही जंतर-मंतर पर होने वाले धरना-प्रदर्शन को बंद कर दिया था।
जिसके बाद किसान शक्ति संगठन और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एनजीटी के आदेश को चुनौती दी थी और शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि पिछले साल अक्तूबर में एनजीटी ने जंतर-मंतर पर पूरी तरह रोक लगा दी और दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है। ऐसे में लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
वहीं दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है। संगठन ने सुझाव दिया कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है।
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