आरयू वेब टीम।
रूपये में लगातार आ रही गिरावट आज भी देखने को मिली। शुक्रवार के कारोबार में रुपये में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई, कारोबार के दौरान रुपया 26 पैसे कमजोर होकर पहली बार रिकार्ड 71 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।
महंगे डॉलर से क्रुड तेल के साथ ही खाद्य तेल और कंज्यूमर ड्यूरेबल तथा इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के दाम बढ़ेंगे जिसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ने के साथ ही उनका बजट भी बिगाड़ देगा। हालांकि चावल, यार्न, मसालें और डीओसी के निर्यातकों को इसका लाभ मिलेगा।
इस महीने रुपये में 3.5 प्रतिशत और इस साल में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। ब्रोकरेज फर्म एसएमसी कॉमट्रेड के चेयरमैन और एमडी डी के अग्रवाल ने बताया कि इस साल रुपये में कमजोरी की कई बड़ी वजह रही है, जिनमें क्रूड की कीमतें लगातार तेज बनी रहने की वजह से डॉलर की डिमांड इंटरनेशनल लेवल पर बढ़ी है।
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वहीं अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार का भी असर भी फॉरेक्स मार्केट पर दिखा है। तुर्की, अर्जेंटीना और मैक्सिकों की करंसी में भी गिरावट आई है। डॉलर की मजबूती जहां आयात महंगा हो जाएगा, वहीं निर्यातकों को इसका फायदा भी मिलेगा।
इसके अलावा रुपये की लगातार कमजोरी भारतीय इकोनॉमी के लिए चिंता का विषय है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ सकता है। महंगे डॉलर से फ्रिज, टीवी, एसी और लैपटॉप जैसे कंज्यूमर और इलेक्ट्रॉनिक सामान महंगे होंगे। इन सामानों को बनाने में लगने वाले कुछ उत्पादों का आयात किया जाता है।
इतना ही नहीं जिस तरह से डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ रहे है इसका असर माल भाड़े पर पड़ेगा, जिससे सब्जियां महंगी होने के साथ ही अन्य खाद्य सामग्रियों के दामों में भी वृद्धी हो जाएंगी।
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