आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के अपने आदेश को लागू करने में देरी करने पर राज्यों से नाराजगी जतायी है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी के साथ राज्यों को आदेश लागू करने के लिए एक सप्ताह का समय देते हुए राज्यों को स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा है। देश के 16 राज्यों ने अभी इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। मामले में अगली सुनवाई 13 सितम्बर को होगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि लोगों को कानून अपने हाथ में लेने से रोकना होगा। समाज में शांति और सद्भाव हर हाल में बनाए रखना होगा। कोर्ट ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि अपने आधिकारिक वेबसाइटों पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ गाइडलाइन जारी करें।
बता दें कि जुलाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़ ने केंद्र और राज्य सरकारों को भविष्य में लिन्चिंग की घटनाएं न हों, इसके लिए कुछ निवारक और दंडात्मक कदम उठाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा था कि यह एक अपराध है।
कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता है और इस तरह की घटनाओं पर काबू पाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने लिचिंग में शामिल लोगों को सजा देने के लिए संसद को अलग से कानून बनाने का सुझाव भी दिया था।
यह भी पढ़ें- SC का आदेश, गौरक्षा के नाम पर हुई हिंसा के पीड़ितों को मुआवाजा दे राज्य सरकार