आरयू वेब टीम।
कर्नाटक सरकार आज 18वीं सदी में मैसूर साम्राज्य के शासक रहे टीपू सुल्तान की जयंती मना रही है। जिसके विरोध में बीजेपी कार्यकर्ता जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। स्थिति को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से कई जगहों पर निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।
इससे पहले भाजपा और कई हिंदू संगठनों द्वारा टीपू को ‘‘धार्मिक रूप से कट्टर’’ करार देते हुए जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार से टीपू जयंती नहीं मनाने को कहा था और ऐसा करने पर कार्यक्रम को बाधित करने की धमकी भी दी, जिसके बाद हुबली, धारवाड़ और शिवमोग्गा सहित कर्नाटक के कई शहरों में धारा-144 लागू कर दी गई है।
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वहीं आज कर्नाटक के कई इलाकों से जयंती समारोह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। विरोध को देखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। विरोध में बीजेपी और कोडाना नेशनल काउंसिल समेत कुछ अन्य पार्टियों के द्वारा मेडिकरी बंद का आह्वान किया गया है।
इस मौके पर कर्नाटक अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान ने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से मुलाकात की। टीपू जयंती समारोह की सफलता की शुभकामनाएं देते हुए कुमारस्वामी ने शनिवार को एक बयान में कहा, ‘‘प्रशासन में टीपू द्वारा किए गए प्रगतिशील उपाय, नवोन्मेष को लेकर उनकी कोशिशें सराहनीय हैं।’’
उन्होंने कहा कि वह डॉक्टर की सलाह पर आराम कर रहे हैं। वह कार्यक्रम में हिस्सा लेने में अक्षम हैं। बयान में कहा गया, ‘‘इसका खास मतलब निकालना गैर-जरूरी है। यह भी सच्चाई से कोसों दूर है कि वह (मुख्यमंत्री) सत्ता गंवाने के डर से इसमें हिस्सा नहीं ले रहे।’’ कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार टीपू जयंती मनाई जा रही है।
बता दें कि 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान को भारतीय मुस्लिम समाज नायक मानता है। उन्हें भारतीय राष्ट्रीय एकता के मिसाल के तौर पर पेश करता है। कांग्रेस ने भी टीपू जंयती मनाने के पीछे यही तर्क दिया है।
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