आरयू वेब टीम।
नासा का ‘इनसाइट’ लैंडर यान मंगल ग्रह पर लैंड हो गया है। यह यान भारतीय समयानुसार बीती राम एक बजकर 24 मिनट पर मंगल ग्रह की सतह पर पहुंचा। ‘इनसाइट’ का काम मंगल ग्रह की आंतरिक संरचना पृथ्वी से कितनी अलग है, इसका पता लगाना है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक ‘इनसाइट’ के मंगल की धरती पर उतरते ही दो वर्षीय मिशन शुरू हो गया है। मंगल पर इसकी लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया सात मिनट तक चली। यह ग्रह की सतह पर उतरने के दौरान 19,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से छह मिनट के भीतर शून्य की रफ्तार पर आ गया। इसके बाद यह पैराशूट से बाहर आया और अपने तीन पैरों पर लैंड किया।
बता दें कि सात मिनट तक पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों कि निगाहें इस पूरी प्रक्रिया को लाइव देखने में टिकी रहीं। जैसे ही ‘इनसाइट’ ने मंगल की सतह को छुआ, सभी वैज्ञानिक खुशी से झूमने लगे। नासा के प्रशासक जिम ब्राइडेंस्टाइन ने इनसाइट के टचडाउन का ऐलान करते ही सभी को बधाई दी।
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बताया जा रहा है कि इसकी लैंडिंग जब हो रही थी तो स्थिति बेहद तनावपूर्ण थे। यानी इस सात मिनट सबकी नजरें अंतरिक्ष यान पर थी जो धरती पर संदेश भेज रहा था। जब इंसाइट ने मंगल पर सुरक्षित तरीके से लैंड किया तो कैलिफोर्निया में नासा के मिशन कंट्रोल में बैठे सभी लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। खबरों की मानें तो इस यान ने एलिसियम प्लानिशिया नामक सपाट मैदान में लैंड किया है जो इस लाल ग्रह की भूमध्य रेखा के करीब है।
Have you ever seen a spacecraft spread its solar wings? @NASAInSight will need to perform the critical task of deploying its solar arrays to power the mission. We expect to get data confirmation this evening. About the #MarsLanding milestones: https://t.co/vnmkKY2MUs pic.twitter.com/3Wx1mvRFvD
— NASA (@NASA) November 27, 2018
जानें ‘इनसाइट’ लैंडर का काम
‘इनसाइट’ मंगल ग्रह के बारे में ऐसी जानकारियां साझा कर सकता है, जो अरबों सालों से नहीं मिली हैं। अपने अभियान के दौरान यह यान मंगल पर एक साइज्मोमीटर स्थापित करेगा जो इसके अंदर की हलचलें रिकॉर्ड करने का काम करेगा। साथ ही यान यह पता लगाने का प्रयास करेगा कि मंगल के अंदर कोई भूकंप जैसी हलचल होती भी है या नहीं।
यह पहला यान है जो मंगल की खुदाई करके उसकी रहस्यमय जानकारियां जुटाने का प्रयास करेगा। यही नहीं एक जर्मन उपकरण भी मंगल की जमीन के पांच मीटर नीचे जाकर उसके तापमान के संबंध में जानकारी एकत्रित करेगा। इसके तीसरे प्रयोग में रेडियो ट्रांसमिशन का इस्तेमाल होगा जिससे यह बता चलेगा कि यह ग्रह अपनी धुरी पर डगमगाते हुए कैसे चक्कर लगाता है।
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