आरयू वेब टीम।
सीबीआइ ने गुरुवार को दिल्ली की अदालत को सूचित किया कि वह बोफोर्स मामले की आगे की जांच की अनुमति के लिए आवेदन वापस लेना चाहती है। निजी याचिकाकर्ता अजय अग्रवाल भी बोफोर्स मामले में आगे की जांच के लिए अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं। दिल्ली की अदालत ने सीबीआइ को आवेदन वापस लेने की मंजूरी दे दी और अजय अग्रवाल से इस मामले पर उनके अधिकार क्षेत्र को लेकर सवाल किए। मामले की अगली सुनवाई अब छह जुलाई को होगी।
इससे पहले मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट नवीन कश्यप ने सवाल उठाते हुए कहा था, ‘सीबीआइ को मामले की आगे की जांच के लिए अदालत की अनुमति की जरूरत क्या है।’ इसके अलावा उन्होंने सीबीआइ से ऑन रिकॉर्ड मामले में उन कानूनों का जिक्र करने के लिए कहा जिसके अंतर्गत उन्हें बोफोर्स मामले में आगे की जांच के लिए अदालत की मंजूरी चाहिए।
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आज एजेंसी ने अदालत के सामने कहा कि आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय उसके द्वारा लिया जाएगा और फिलहाल वह आवेदन को वापस लेना चाहती है। चार दिसंबर, 2018 को अदालत ने सीबीआइ से पूछा था कि उसे मामले में आगे की जांच के लिए अदालत की अनुमति की जरूरत क्यों है।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने बोफोर्स मामले में हिंदुजा बंधुओं को आरोप मुक्त करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआइ की याचिका खारिज कर दी थी। न्यायालय ने कहा था कि बोफोर्स मामले में उच्च न्यायालय द्वारा हिंदुजा बंधुओं को आरोप मुक्त किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने में हुई देरी के संबंध में सीबीआई ने जो दलील दी है उससे वह संतुष्ट नहीं है।
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न्यायालय ने कहा था कि अपील दायर करने में हुई 4,500 दिन से भी ज्यादा की देरी को माफ करने के संबंध में सीबीआइ द्वारा बताए गए कारण तर्कसंगत नहीं हैं। उच्चतम न्यायालय ने 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स घोटाला मामले में हिंदुजा बंधुओं समेत सभी आरोपियों को आरोप मुक्त करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआइ की याचिका खारिज कर दी थी।