आरयू वेब टीम। शारदा चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका गला है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी रोक शुक्रवार को हटा दी है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ अपना काम कर सकती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सात दिन बाद लागू होगा। इस दौरान राजीव कुमार कानूनी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की उस अर्जी पर फैसला सुनाया है जिसमें राजीव कुमार को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण को रद्द करते हुए हिरासत में लेकर पूछताछ करने की इजाजत मांगी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की अर्जी पर दो मई को फैसला सुरक्षित रखा था। सीबीआइ ने शारदा चिटफंड घोटाला मामले में एसआइटी प्रमुख रहे राजीव कुमार पर सबूत मिटाने और जांच में असहयोग का आरोप लगाया है। सीबीआइ का का कहना है कि पहली नजर में इस बात के स्पष्ट सबूत मिले हैं कि राजीव कुमार ने शारदा चिट फंड मामले से जुड़े साक्ष्यों को कथित रूप से नष्ट करने या उनसे छेड़छाड़ करने का प्रयास किया। उन्होंने इस मामले से जुड़े ताकतवर लोगों को बचाने की कोशिश की।
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वहीं पश्चिम बंगाल सरकार और राजीव कुमार ने इसे साजिश बताया और सीबीआइ पर भाजपा के इशारे पर काम की बात कही थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को सीबीआइ को कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ पर पहले दी गई छूट को हटाने के लिए संतोषजनक सबूत पेश करने का निर्देश दिया था।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान कोलकाता में हुई हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने बुधवार को ही राजीव कुमार को दिल्ली गृह मंत्रालय में ट्रांसफर किया है। राजीव कुमार मौजूदा समय में एडीजी सीआइडी के पद पर थे।
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गौरतलब है कि इसी साल फरवरी महीने में राजीव कुमार जब कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त थे, तब सीबीआइ की टीम पूछताछ के लिए पहुंची थी, लेकिन वहां मौजूद कर्मियों ने सीबीआइ की टीम को रोक दिया था। बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। इसी के बाद सीबीआइ और ममता सरकार के बीच तनाव शुरू हो गया।