आरयू वेब टीम। देश को हिलाकर रख देने वाले जम्मू-कश्मीर के कठुआ में बच्ची के साथ गैंगरेप व हत्या के मामले में सोमवार शाम पठानकोट की अदालत ने फैसला सुनाया है। मामले में तीन प्रमुख दोषी सांझी राम, प्रवेश कुमार और दीपक खजूरिया को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा बाकी तीन दोषी आनंद दत्ता, तिलक राज और सुरेंद्र वर्मा को सबूत छिपाने के आरोप में पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही इन तीनों पर अदालत ने 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया है। वहीं, इस मामले में सांझी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया है।
इससे पहले आज पूर्वान्ह छह आरोपितों को दोषी करार देते हुए विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया था। दोषी करार दिए गए आरोपितों में सांझी राम के अलावा दीपक खजूरिया, आनंद दत्ता, तिलक राज, सुरेंद्र वर्मा और प्रवेश शामिल है। साथ ही इस मामले में एक आरोपित नाबालिग है। किशोर के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है, उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट सुनवाई करेगा।
दोषी पाए गए आरोपितों में चार पुलिसकर्मी भी शमिल हैं। सांझी राम ग्राम प्रधान था। दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा विशेष पुलिस अधिकारी, तिलक राज हेड कांस्टेबल और आनंद दत्ता एसआइ है। फैसले को देखते हुए अदालत के बाहर सुरक्षा बढ़ाई गई थी। साथ ही कड़ी सुरक्षा के बीच आज सभी आरोपितों को अदालत लाया गया था।
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सजा सुनाने से पहले आज जज डॉ. तेजिंदर सिंह ने आरोपितों को विभिन्न धाराओं के तहत दोषी करार दिया। अदाल ने सांझी राम, दीपक खजूरिया और प्रवेश को 376 डी (गैंगरेप) और 302 (हत्या) के तहत दोषी पाया। इसी तरह एसआइ आनंद दत्ता, सुरेंद्र व तिलक राज को आइपीसी की धारा 201 (साक्ष्य छिपाने) के तहत दोषी करार दिया है।
कौन-कौन थे आरोपित
आठ साल की बच्ची से गैंगरेप व हत्या के इस मामले में कुल आठ आरोपित सामने आए थे, जिनमें से एक नाबालिग है। क्राइम ब्रांच ने मामले में ग्राम प्रधान सांझी राम और उसके बेटे विशाल, किशोर भतीजे और उसके दोस्त आनंद दत्ता को गिरफ्तार किया था। साथ ही मामले में विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी पकड़ा गया था। इसके अलावा सांझी राम से चार लाख रुपये लेने और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने के मामले में हेड कांस्टेबल तिलक राज और एसआइ आनंद दत्ता को भी गिरफ्तार किया गया।
तीन जून को पूरी हुई थी मामले की सुनवाई
देशवासियों में आक्रोश भर देने वाले कठुआ गैंगरेप व हत्या के इस मामले की सुनवाई तीन जून को बंद कमरे में पूरी हुई थी। जिसके बाद जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने घोषणा की थी कि दस जून को फैसला सुनाया जा सकता है।
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वहीं इस मामले पर अधिकारियों ने रविवार को कहा था कि कठुआ केस में फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर अदालत और उसके आसपास कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हालात पर करीब से नजर रखी जाएगी।
ये थी इस बहुचर्चित केस की कुछ अहम बातें-
- 15 पन्नों के आरोप पत्र के अनुसार पिछले साल दस जनवरी को कठुआ जिले के रसाना गांव में आठ साल की एक बच्ची का अपहरण कर लिया गया था। उसके बाद गांव के एक मंदिर में उसके चार दिनों तक उसको बेहोश रखकर दुष्कर्म किया गया और फिर लाठी से पीट कर हत्या कर दी गई।
– मामले में रोजाना आधार पर सुनवाई पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट में जिला और सत्र अदालत में पिछले साल जून के पहले सप्ताह में शुरू हुई थी।
– सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजने का आदेश दिया था, जिसके बाद जम्मू से करीब करीब सौ किलोमीटर और कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पठानकोट की अदालत में मामला पहुंचा था।
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– शीर्ष अदालत का आदेश तब आया जब कठुआ में वकीलों ने अपराध शाखा के अधिकारियों को इस सनसनीखेज मामले में आरोप पत्र दाखिल करने से रोका था। इस मामले में अभियोजन दल में जे के चोपड़ा, एसएस बसरा और हरमिंदर सिंह शामिल थे।
– अपराध शाखा ने इस मामले में ग्राम प्रधान सांझी राम, उसके बेटे विशाल, किशोर भतीजे तथा उसके दोस्त आनंद दत्ता को गिरफ्तार किया था। साथ ही दो एसपीओ दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया।
– सांझी राम से चार लाख रुपये लेने और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने के मामले में हेड कांस्टेबल तिलक राज एवं एसआइ आनंद दत्ता को भी गिरफ्तार किया गया।
– जिला और सत्र न्यायाधीश ने आठ आरोपितों में से सात के खिलाफ आरोप तय किए हैं। किशोर आरोपित के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है, और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय सुनवाई करेगा।
– आरोपितों को कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है।
ये था मामला-
कठुआ के रसाना गांव की आठ साल की बच्ची दस जनवरी 2018 को लापता हो गई थी। बच्ची को काफी तलाशने के बाद पिता ने 12 जनवरी को हीरानगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। लापता होने के सात दिनों बाद 17 जनवरी को जंगल में बच्ची की लाश क्षत-विक्षत हालत में मिली। बच्ची का परिवार उस बकरवाल समुदाय से था, जो कठुआ में अल्पसंख्यक है। बच्ची के साथ हुई हैवानियत के विरोध में परिजनों ने प्रदर्शन किया और हाई वे जाम कर दिया था। जिसके बाद मामले की परतें खुलती चली गयीं।