आरयू ब्यूरो, लखनऊ। समायोजन रद्द होने के बाद से तंगहाली में जिंदगी गुजार रहे उत्तर प्रदेश के हजारों शिक्षामित्रों ने बुधवार को सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक अपनी गुहार लगाने की मुहीम शुरू की।
सुबह से ट्विटर पर हैश टैग #मोदीजी_शिक्षामित्र_याद_है की शुरू की गयी ये मुहीम शाम होते-होते टॉप पर ट्रेंड कर रही थी। शाम लगभग आठ बजे तक इस हैश टैग के साथ करीब 51 हजार ट्विट किए जा चुके थे।
वहीं अपनी इस मुहीम के दौरान ट्विट करते समय शिक्षामित्र समाचार पत्रों की कटिंग भी लगा रहे थे जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस रैली की कवरेज थी जिसमें पीएम द्वारा कहा गया था कि शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी उनकी है। साथ ही ट्विट के जरिए शिक्षामित्र अपनी समस्याओं के समाधान की गुहार लगा रहे थे।
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इसके अलावा समायोजन रद्द होने के बाद अवसाद में जान गंवाने वाले शिक्षामित्रों की तस्वीरें व उनके परिजनों व मासूम बच्चों के रोते-बिलखने के दौरान की तस्वीर ट्विट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा भाजपा व आरएसएस के दिग्गज पदाधिकारियों समेत विपक्षी दलों के नेताओं को भी टैग कर रहे थे।
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आम शिक्षक/शिक्षामित्र एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष उमा देवी ने बताया कि अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आयोजित एक चुनावी रैली में हिस्सा लेने पहुंचें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। साथ ही प्रधानमंत्री ने शिक्षामित्रों को आश्वासन दिलाते हुए कहा था कि शिक्षामित्र परेशान न हो शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी उनकी है, लेकिन आजतक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
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उमा देवी ने बताया इसके अलावा मानदेय रद्द होने के ठीक एक साल बाद 25 जुलाई 2018 को शिक्षामित्रों ने काला दिवस मनाते हुए न सिर्फ सुहागिन महिलाओं ने अपने बाल मुड़वाए थे, बल्कि पुरुष शिक्षामित्रों ने भी अपने जनेऊ का त्याग कर दिया था। शिक्षामित्रों के इस प्रदर्शन के एक साप्ताह बाद उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के नेतृत्व में एक हाई पॉवर कमेटी गठित की गयी थी। कमेटी गठन के ठीक बाद ही डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने शिक्षामित्रों से वादा किया था कि दिवाली तक शिक्षामित्रों को उनका सम्मान व खुशियां वापस मिल जाएंगी, लेकिन डिप्टी सीएम का आज तक न तो वादा पूरा हुआ और न ही ये पता चल सका कि आखिर कमेटी के निर्णय का क्या हुआ। वहीं इस बीच लगभग 17 सौ शिक्षामित्र अवसाद के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं।
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बताते चलें कि 25 जुलाई 2017 को कोर्ट के आदेश के बाद करीब एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया गया था। जिसके बाद लगभग 40 हजार की सैलरी पाने वाले शिक्षामित्रों को योगी सरकार ने दस हजार रुपए बतौर मानदेय देना शुरू किया था, जो आज तक जारी है।
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वहीं 40 हजार में अपना परिवार पालने वाले शिक्षामित्रों के वेतन से सीधे 30 हजार की एकाएक कमी आने के चलते बड़ी संख्या में शिक्षामित्र अवसाद में चले गए थे। शिक्षामित्रों का कहना था कि उन्होंने अपने 40 हजार के वेतन के भरोसे बैंक से अपनी जरूरत के हिसाब से लिए गए लोन भरने के साथ ही अन्य जरूरी खर्चें भी करने होते हैं, जिन्हें मात्र दस हजार के मानदेय से पूरा करना असंभव है।
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तो इसलिए ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा, #मोदीजी_शिक्षामित्र_याद_है, जानें इसके मायने https://t.co/SVfbyZoUK1 via @rajdhaniupdate @ShikshamitraU @magan_pandey @kshams111 @ShikshamitraU #मोदीजी_शिक्षामित्र_याद_है #शिक्षामित्र #Media #यूपीकामरताशिक्षामित्र #Shikshamitra #UPShikshamitra
— Rajdhani Update (@rajdhaniupdate) December 4, 2019