आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावाट की सौर परियोजना का शुभारंभ कर राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज रीवा ने वाकई इतिहास रच दिया है। रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम से और सफेद बाघ से रही है। अब इसमें एशिया के सबसे बड़े सोलर पावर का नाम भी जुड़ गया है। रीवा का ये सोलर प्लांट आज की ही नहीं, बल्कि 21वीं सदी की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा माध्यम होने वाला है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश निश्चित रूप से सस्ती और साफ-सुथरी बिजली का हब बन जाएगा
पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस सोलर प्लांट से मध्य प्रदेश के लोगों को, यहां के उद्योगों को तो बिजली मिलेगी ही, दिल्ली में मेट्रो रेल तक को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि ये तमाम प्रोजेक्ट जब तैयार हो जाएंगे, तो मध्य प्रदेश निश्चित रूप से सस्ती और साफ-सुथरी बिजली का हब बन जाएगा। इसका सबसे अधिक लाभ मध्य प्रदेश के गरीब, मध्यम वर्ग के परिवारों, किसानों, आदिवासियों को होगा।
सौर ऊर्जा, श्योर है, प्योर है और सिक्योर
प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा आज की ही नहीं, बल्कि 21वीं सदी की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा माध्यम होने वाला है। क्योंकि सौर ऊर्जा, श्योर है, प्योर है और सिक्योर है। श्योर इसलिए क्योंकि ऊर्जा के दूसरे स्रोत खत्म हो सकते हैं, लेकिन सूर्य सदा पूरे विश्व में चमकता रहेगा। प्योर इसलिए, क्योंकि ये पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करता है। सिक्योर इसलिए क्योंकि ये हमारी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करता है।
वहीं इस परियोजना के तहत 250-250 मेगावाट क्षमता वाली तीन इकाइयां लगाई गई हैं। इस परियोजना से लगभग 15 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कार्बन उत्सर्जन की संभावना है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के मुताबिक रीवा सौर परियोजना के लिए मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम और सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की ज्वाइंट वेंचर कंपनी के रूप में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड कंपनी का गठन किया गया।
रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड को सौर पार्क के विकास के लिए 138 करोड़ रुपए की केंद्रीय वितीय सहायता प्रदान की गई। पार्क के विकास के बाद रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड ने पार्क के अंदर 250 मेगावाट की तीन सौर उत्पादन इकाइयों का निर्माण करने के लिए नीलामी के माध्यम से महिंद्रा रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड, एसीएमई जयपुर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड और ऑरिन्सन क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया था।
परियोजना की मुख्य बातें:
सौर परियोजना रीवा जिले के गुढ़ तहसील में 1,590 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित है। यह दुनिया के सबसे बड़े सिंगल साइट सौर संयंत्रों में से एक है।
आंतरिक ग्रिड समायोजन के लिए वर्ल्ड बैंक से ऋण प्राप्त करने वाली यह देश के पहली परियोजना है। बता दें कि वर्ल्ड बैंक का ऋण प्रदेश सरकार की गारंटी के बिना और क्लिन टेक्नॉलिजी फंड (सीटीएफ) के अंतर्गत सस्ती दरों पर दिया गया है।
इस परियोजना की कुल लागत 4500 करोड़ रुपए है। यह देश का एकमात्र सोलर पार्क है।
डीएमआरसी रीवा की सौर ऊर्जा के सहारे अपना संचालन करेगी।
मध्य प्रदेश सरकार को इससे काफी लाभ मिलेगा। 25 सालों में प्रदेश सरकार को 2086 करोड़ रुपए जबकि डीएमआरसी को 1220 करोड़ रुपए का लाभ मिलेगा।
सौर परियोजना से पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा। आधारशिला रखते समय प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि यह ऊर्जा संयंत्र प्रदूषण मुक्त ग्रीन वातावरण में बिजली उत्पादन करेगा।
सौर परियोजना से हर साल 15.7 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा रहा है, जो दो करोड़ 60 लाख पेड़ों को लगाने के बराबर है।