आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अर्नब गोस्वामी को मामले में तत्काल सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने ‘कड़ी आपत्ति’ जताई है। साथ ही दुष्यंत दवे ने शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल को पत्र लिखकर 2018 में इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत याचिका को ‘चयनित तरीके’ से 11 नवंबर को एक अवकाश कालीन पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किये जाने पर सवाल उठाए है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए बार एसोसिएशन अध्यक्ष ने कहा कि हजारों नागरिक लंबे समय से जेलों में हैं, और उनके मामलों को हफ्तों और महीनों तक सूचीबद्ध नहीं किया जाता, लेकिन जब भी अर्नब गोस्वामी उच्चतम न्यायालय का रुख करते हैं, तो उनका मामला कैसे और क्यों तुरंत सूचीबद्ध हो जाता है।
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दवे ने कहा कि बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ गोस्वामी की याचिका कल दायर हुई और उसे तुरंत डायरी नंबर मिला, हालांकि अंतिम नहीं है, और इसे सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने सेक्रेटरी जनरल से न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उनके पत्र को रखे जाने का अनुरोध किया जो गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई करेगी।
साथ ही दवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह व्यक्तिगत रूप से अर्नब के खिलाफ नहीं है, और वह किसी के अधिकार में हस्तक्षेप करने के लिए भी यह पत्र नहीं लिख रहे है, क्योंकि सभी नागरिकों की तरह रिपब्लिक टीवी के संपादक को भी उच्चतम न्यायालय से न्याय पाने का अधिकार है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि यहां गंभीर मुद्दा मामलों का चयनित तरीके से सूचीबद्ध करने का है।