आरयू वेब टीम। भारत में हजारों रेलवे स्टेशन हैं। इनमें से कुछ अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर हैं तो कुछ अपने भूतिया किस्सों के लिए, लेकिन कुछ ऐसे अनोखे रेल स्टेशन भी हैं जो अपनी लंबाई के लिए भी मशहूर हैं। इनमें से एक रेलवे स्टेशन तो ऐसा भी है जहां भारतीय नागरिकों का भी वीजा लगता है। आज हम आपको देश के कुछ ऐसे ही अनोखे रेलवे स्टेशनों के बारे में बताने जा रहे हैं।
भवानीमंडी रेलवे स्टेशन
दिल्ली-मुंबई रेल लाइन पर स्थित भवानीमंडी रेलवे स्टेशन एक नहीं, बल्कि दो राज्यों में पड़ता है, जी हां ये स्टेशन राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। इस रेलवे स्टेशन पर बेंच के आधे हिस्से में राजस्थान लिखा है और आधे में मध्य प्रदेश। यहां की एक अनोखी बात यह भी है कि इस स्टेशन का टिकट बुकिंग काउंटर मध्य प्रदेश के मंदसोर जिले में है तो वहीं स्टेशन में प्रवेश का रास्ता और वेटिंग रूम राजस्थान के झालावाड़ जिले में है।
अटारी रेलवे स्टेशन
अटारी रेलवे स्टेशन भारत-पाकिस्तान की सीमा के पास है। यह देश का इकलौता ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां भारतीय नागरिकों को जाने के लिए वीजा की जरूरत पड़ती है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित होने के कारण अटारी रेलवे स्टेशन पर हमेशा सुरक्षा बल तैनात रहती है। इतना ही नहीं, अगर कोई भी व्यक्ति यहां बिना वीजा के पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाई की जाती है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ 14 फोरन एक्ट के तहत मामला दर्ज होता है। इस धारा के लगने के बाद बेल भी मुश्किल से ही मिलती है।
बेनाम रेलवे स्टेशन
पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में एक ऐसा अनूठा रेलवे स्टेशन है जिसका कोई नाम ही नहीं है। यह स्टेशन बर्धमान से 35 किलोमीटर दूर बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर स्थित है। 2008 में जब इस स्टेशन का निर्माण हुआ था एक इसे एक नाम भी मिला था ‘रैनागढ़,’ लेकिन रैना गांव के लोगों ने इसका विरोध किया और उन्होंने रेलवे बोर्ड से इस मामले की शिकायत कर दी। तब से ना तो इस मामले पर कोई फैसला आया और ना ही इस स्टेशन को कोई नाम मिला।
नवापुर रेलवे स्टेशन
महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में एक अनूठा रेलवे स्टेशन है दो राज्यों में बंटा हुआ है। यह स्टेशन गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा में पड़ता है। इस रेलवे स्टेशन पर बेंच के आधे हिस्से में महाराष्ट्र लिखा है और आधे में गुजरात। इस रेलवे स्टेशन की एक अनोखी बात यह भी है कि यहां हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती और मराठी जैसी अलग-अलग भाषाओं में घोषणाएं की जाती हैं।
झारखंड का रेलवे स्टेशन
झारखंड की राजधानी रांची से टोरी जाने वाली ट्रेन भी एक बेनाम स्टेशन से होकर गुजरती है। इस स्टेशन पर कोई भी साइन बोर्ड देखने को नहीं मिलता। 2011 में जब इस स्टेशन से पहली बार ट्रेन का परिचालन हुआ था तब इसका नाम बड़कीचांपी रखने का सोचा गया था, लेकिन यह बात कमले गांव के लोगों को पसंद नहीं आई। इस विवाद के बाद इस स्टेशन को आज तक कोई नाम नहीं मिला है।