आरयू वेब टीम। अगर आपका बैंक से जुड़ा कोई भी काम बचा हो उसे आज ही निपटा लें, क्योंकि 26 नवंबर यानी कल से केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। हड़ताल का आह्वान केंद्र सरकार की श्रम-विरोधी नीतियों के खिलाफ किया गया है। इस हड़ताल में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने भी शामिल होने का एलान किया है।
करीब चार लाख बैंक कर्मचारियों के प्रतिनिधि एआइबीईए ने कहा कि, हालिया सत्र के दौरान लोकसभा में कारोबारी सुगमता के नाम पर 27 मौजूदा श्रम कानूनों की जगह लेने वाला नया श्रम कानून पारित किया गया है, जो पूरी तरह कॉरपोरेट के हित में है। इस प्रक्रिया में 75 फीसदी कर्मचारियों से नए प्रावधान के तहत कानूनी संरक्षण छीनकर उन्हें श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है। नए कानूनों में इन श्रमिकों को किसी तरह का संरक्षण नहीं मिलेगा।
वर्तमान सरकार आत्मनिर्भर भारत के नाम पर निजीकरण के अपने एजेंडे को बढ़ावा दे रही है और इसका सहारा लेकर अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निजीकरण कर रही है, जिसमें बैंक भी शामिल है। एआइबीईए भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को छोड़कर ज्यादातर बैंकों का प्रतिनिधित्व करता है।
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महाराष्ट्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, पुरानी पीढ़ी के निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों के करीब 30,000 कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे। देशभर में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों व श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख दस श्रम संघों के साझा मंच की केंद्र सरकार की कथित जन विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ हो रही देशव्यापी हड़ताल में बैंकिंग उद्योग भी शामिल होगा।
मालूम हो कि देश में सभी राज्यों में एक या उससे ज्यादा ग्रामीण बैंक हैं। इनकी कुल संख्या 43 है। इसमें लगभग 21,000 शाखाओं के एक लाख अधिकारी और सभी तरह के कर्मचारी काम कर रहे हैं।