आरयू ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को मेडिकल कालेजों के प्रिंसिपल और डॉक्टरों को नसीहत दी कि वह खुद भी मरीजों को ओपीडी में देखें। जूनियर डॉक्टरों के भरोसे मरीजों को छोड़ने वाले इन वरिष्ठों को खरी-खरी सुनाने के साथ योगी ने मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करने के भी सख्त निर्देश दिए। योगी ने कहा कि आपके खराब व्यवहार व लापरवाही से समय पर अच्छा इलाज न मिलने पर जनता हमें भी कोसती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब ऐसा नहीं होना चाहिए।
दरअसल लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में 15 जिलों के नव चयनितों को सीएम ने नियुक्ति पत्र बांटे। बाकी नव चयनित अभ्यर्थियों को विभिन्न जिलों में कार्यक्रम आयोजित कर नियुक्ति पत्र दिया गया। इस मौके पर सीएम ने 326 डॉक्टरों व 2,142 स्टाफ नर्सों के नियुक्ति पत्र वितरण कर 755 नई एंबुलेंस को हरी झंडी भी दिखाई।
वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर प्रिंसिपल व सभी डाॅक्टर रोगियों को देखेंगे तो उनके पास साल भर की एक केस स्ट्डी तैयार होगी और इससे पता चलेगा कि बीमारियों का क्या ट्रेंड है। चिकित्सा के क्षेत्र में शोध व नवाचार को बढ़ावा देना जरूरी है। अगर कोरोना महामारी के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सोचा होता कि जब दुनिया में कहीं टीका बनेगा तो उसे लाकर यहां लोगों को लगाया जाएगा तो सोचिए क्या हालात होते। उनके मार्गदर्शन में देश में ही दो सर्वश्रेष्ठ वैक्सीन बनाई गईं और दूसरे देशों को भी बांटी गईं।
एलोपैथ व आयुष दोनों में ही शोध की संभावनाएं बहुत हैं। योगी ने कहा कि रोगियों व तीमारदारों से पीड़ा के समय अगर अस्पताल में अच्छा व्यवहार किया जाता है तो वह दुआ देते हैं, वरना बददुआ मिलती है। अगर आप अच्छा व्यवहार करेंगे तो आधी बीमारी तो ऐसे ही ठीक हो जाएगी।
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सीएम ने इस दौरान विपक्षी दलों पर भी हमला बोला। योगी ने कहा कि जाति के नाम पर लोगों को भिड़ाने वाले दल जब सत्ता में थे तो उन्होंने कुछ नहीं किया। वर्ष 2017 से पहले हर साल डेढ़ हजार तक बच्चे इंसेफ्लाइटिस से मरते थे। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार आई और युद्ध स्तर पर काम शुरू हुआ। अब 98 प्रतिशत तक मौतें घटी हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया गया।