आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लंबे समय से लखनऊ विकास प्राधिकरण व उसके अफसरों की शहर से लेकर शासन व अदालतों तक में किरकिरी कराने अवैध निर्माण की समस्या को बढ़ावा देने वालों पर एलडीए वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी की कार्रवाई का दौर जारी है। उपाध्यक्ष ने मोहान रोड योजना के आसपास अवैध निर्माण को संरक्षण देने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच कर्मचारियों को आज निलंबित कर दिया है, जबकि रिटायर हो चुके एक अन्य कर्मचारी पर विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए है।
इसके अलावा मोहान रोड पर अवैध निर्माण की रोकथाम के लिए मार्च 2022 से अब तक जोन तीन में तैनात रहे जोनल अधिकारी राजीव कुमार, रामशंकर व अरुण कुमार सिंह के अलावा तत्कालीन एक्सईएन कमलजीत सिंह को भी कारण बताओ नोटिस जारी की गयी है।
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वहीं प्रवर्तन जोन तीन में तैनात रहे एई संजय जिंदल व वाईपी सिंह, अवर अभियंता भारत पांडेय, विपिन विहारी राय, जितेंद्र कुमार, अंशु व रवि प्रकाश और अमीन विमेलश को नोटिस दी जा चुकी है। उपाध्यक्ष ने यह कार्रवाई जांच कमेटी द्वारा सर्वे करके दी गयी रिपोर्ट के आधार पर की है। वीसी के अनुसार नोटिस का जवाब मिलने पर जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि मार्च 2022 से लेकर अब तक प्रवर्तन जोन तीन की मोहान रोड योजना क्षेत्र में तैनात रहे मेट विश्म्भर त्रिपाठी, राम अभिलाश, मोहम्मद रजा, सुपरवाइजर रतन लाल व चैनमैन प्रदीप कुमार को आज निलंबित कर दिया गया है। वहीं, सेवानिवृत्त हो चुके मेट जयकरन के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संस्थित की गयी है।
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अपर सचिव ने बताया कि मोहान रोड व उसके आसपास की गयी अवैध प्लाटिंग व अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के लिए 18 अप्रैल से अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए पुलिस विभाग को पर्याप्त मात्रा में फोर्स उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा गया है।
अवैध निर्माण पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जनता पर हंटर चला वाहवाही लूटते थे वीसी
बताते चलें कि एलडीए में संभवता: पहला मौका है जब किसी उपाध्यक्ष द्वारा अवैध निर्माण कर्ता के साथ ही एलडीए के प्रवर्तन में तैनात अवैध निर्माण पर कार्रवाई में लापरवाही दिखाने वाले व अवैध निर्माण कराने का ठेका लेने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही। इससे पहले अमूमन वीसी अवैध निर्माण पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जनता की बिल्डिंगों पर कार्रवाई कराने के बाद फोटो-वीडियो जारी कर मीडिया के जरिए अपनी वाहवाही कराने तक सीमित रहते थे। पूर्व में कई बार एलडीए में ही बैठे अवैध निर्माण के संरक्षणदाताओं पर कार्रवाई की कोशिश में उसके ही मुखिया की कुर्सी तक हिल चुकी है, ऐसे में एलडीए के बड़े अधिकारी खासकर अवैध निर्माण से जुड़े अफसर, इंजीनियर व कर्मचारियों के कॉकस से लगभग दूरी बनाए रखने में ही अपनी भलाई समझते रहे है।