आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। प्राधिकरण के अफसरों को बहलाकर अवैध निर्माण की ठेकेदारी करने वाले इंजीनियरों की लगातार शिकायत मिलने के बाद शासन ने खुद इन पर नकेल कसने का मन बना लिया है। अब जेई एक ही क्षेत्र में तीन महीने और एई छह महीने से ज्यादा समय तक प्रवर्तन का काम नहीं देख पाएंगे।
इसके साथ ही शासन के संयुक्त सचिव स्वामी नाथ पाण्डेय ने एक आदेश जारी कर एलडीए समेत प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष को यह भी निर्देश दिए है कि सहायक अभियंता कुल दो वर्ष और अवर अभियंता एक साल से अधिक समय तक प्रवर्तन मेंं तैनात रखे जाएं ।
चार्ज छोड़ने के साथ लिखकर बताना होगा अवैध निर्माण की स्थिति
इतना ही नहीं पहले कि तरह अनगिनत अवैध निर्माण कराने के बाद अब भ्रष्ट इंजीनियर आसानी से न बच पाए इसके लिए भी शासन स्तर से खाका खीचा गया है। नए नियम के अनुसार कार्यक्षेत्र बदलने पर एई और जेई को लिखित में बताना होगा कि वह कब से कब तक क्षेत्र में तैनात रहें और इस दौरान उनके क्षेत्र में कितने अवैध निर्माण किए गए है।
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साथ ही अवैध निर्माणकर्ता का नाम, पता और अवैध निर्माण कितने क्षेत्रफल व तलों में किया गया है। इसके अलावा उनके द्वारा अब तक क्या कार्रवाई की गई है और आगे की कार्रवाई की स्थिति क्या है। यह सब शासन की ओर से किए तए किए गए फॉर्मेट में लिखकर देना होगा।
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अवैध निर्माण की रोकथाम के लिए शासन की ओर से लेटर आया है। जिसके अनुसार कार्रवाई की जा रही है। जयशंकर दूबे, एलडीए सचिव