आरयू ब्यूरो, लखनऊ। एलडीए अफसरों की हनक की हवा निकाल गोमतीनगर के 13 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री कराकर बेचने वाले बाबू को आज गोमतीनगर पुलिस ने जेल भेज दिया है। एलडीए वीसी अक्षय त्रिपाठी के निर्देश व नजूल अफसर आनंद कुमार सिंह की तहरीर पर गोमतीनगर पुलिस ने एलडीए की रजिस्ट्री सेल के बाबू पवन कुमार के खिलाफ आइपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 व 120 बी. के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए यह कार्रवाई की है।
वहीं पुलिस ने 12 प्लॉट को फर्जी तरीके से खरीदने वालों के अलावा रजिस्ट्री में शामिल करीब दर्जनभर गवाहों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस का दावा है कि इस मामले में करीब दो दर्जन लोगों का अब तक नाम सामने आया है, जिनकी तलाश की जा रही है।
दूसरी ओर एलडीए के ओएसडी राजीव कुमार के शहर के बाहर होने के चलते एक प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री के मामले में आज मुकदमा दर्ज नहीं हो सका। सोमवार को उनके वापस आने पर बाबू व जिसके पक्ष में प्लॉट की रजिस्ट्री हुई है, उसके खिलाफ भी एलडीए एफआइआर कराएगा।
प्लॉट व मकान के बाहर लविप्रा ने लगवाएं चेतावनी बोर्ड
वहीं रविवार को एलडीए ने फर्जी तरीके से रजिस्ट्री किए गए प्लॉटों पर कब्जा लेते हुए उनपर चेतावनी बोर्ड लगवाएं। आज की जांच में यह भी सामने आया है कि 13 में से कुछ प्लॉट पर मकान भी बना लिए गए हैं। जिसके बाद एलडीए वीसी की ओर से इन प्लॉट व मकानों के बाहर लगाए गए बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि इन प्लॉट के क्रय-विक्रय एवं कब्जा करना दंडनीय अपराध है।
वांछित बाबूओं की आइडी से पहले ही लिखी जा चुकी थी पटकथा
प्लॉटों की बड़े पैमाने पर फर्जी रजिस्ट्री का मामला सामने आने के बाद भले ही एलडीए के अफसर खुलकर बोलने से बच रहें हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार को सामने आए 13 मामले में से आधे से ज्यादा के रिकॉर्ड एलडीए के कंप्यूटर में भी दर्ज किए जा चुके हैं। यह कारनामा फर्जी रजिस्ट्री के कई मामलों में पहले से ही फरार चल रहे बाबू अजय प्रताप वर्मा व श्रीकृष्ण भारती की आइडी से साल 2020 व उसके भी पहले ही हो चुका था, हालांकि वांटेड बाबूओं की आइडी से सिर्फ प्लॉटों के फर्जी आवंटन का ही ब्यौरा एलडीए के रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था, रजिस्ट्री का रिकॉर्ड दर्ज हो पाता उससे पहले ही रजिस्ट्री सेल का बाबू पवन कुमार पकड़ा गया, हालांकि लगभग 10 करोड़ की मार्केट वैल्यू वाले इन 13 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री के मामले में किसी अफसर व अन्य कर्मी की संलिप्ता की बात से भी लोग इंकार नहीं कर रहे।
बाबू ढाई महीने से करा रहा था फर्जी रजिस्ट्री, अधिकारी मीटिंग में व्यस्त
एलडीए की रजिस्ट्री सेल में तैनात बाबू पवन कुमार ऐसे समय में एलडीए के प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री करा रहा था, जब न सिर्फ एक बाद एक कर विभिन्न योजनाओं में फर्जी रजिस्ट्री के मामले सामने आ रहे थे, बल्कि आलाधिकारी एलडीए को सुधारने व मातहतों को सुधरने की चेतावनी वाली बैठकों में व्यस्त थे। इसी साल 14 जुलाई से एक अक्टूबर तक पवन कुमार ने एक दो नहीं, बल्कि गोमतीनगर योजना के 13 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री कराते हुए उन्हें जालसाजों के हाथों में सौंप दिया। ढाई महीने में अधिकारियों की नाक के नीचे इतना बड़ा घोटला हो गया और उन्हें भनक तक नहीं लगी इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहें हैं।
अफसरों की दागियों पर दरियादिली से दागदार हो रहा एलडीए, पुलिस भी सुस्त
बताते चलें एलडीए में फर्जी रजिस्ट्री कर प्लॉट बेचने का मामला सामने आना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कंप्यूटर विभाग के हेड एसबी भटनागर, बाबू अजय प्रताप, श्रीकृष्ण भारती समेत अन्य बाबूओं की कंप्यूटर आइडी के जरिए भी एलडीए की संपत्तियों का फर्जी तरीके से जालसाजों को मालिक बनाया जा चुका है, लेकिन इन मामलों में एलडीए एफआइआर दर्ज कराने के बाद खमोश होकर बैठ गया। वहीं शातिर बदमाशों को भी ढूंढकर दबोचने का दावा करने वाली गोमतीनगर पुलिस पैरवी के आभाव में एलडीए को खोखला व दागदार करने वाले अधिकतर नटवरलालों को अब तक नहीं गिरफ्तार कर सकी है। जानकार बताते हैं कि अधिकारियों ने अगर जिम्मेदारी व हिम्मत दिखाते हुए पहले ही कड़े कदम उठाए होते तो एलडीए के इतिहास में इस तरह के भ्रष्टाचार का एक और मामला कम से कम इतनी जल्द तो दर्ज नहीं होता।
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एलडीए सचिव पवन कुमार गंगवार ने बताया कि प्लॉट के 12 मामलों में नजूल अधिकारी आनंद सिंह के फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे, जबकि एक में ओएसडी राजवी कुमार के जाली हस्ताक्षर का प्रयोग हुआ था। 12 मामलों में बाबू समेत करीब दो दर्जन लोगों के खिलाफ कुल 12 मुकदमें दर्ज कराएं गएं हैं, जबकि एक मामले में राजीव कुमार के लौटने पर उनकी तहरीर पर एफआईआर कराई जाएगी। इसके अलावा मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी बिन्दुंओं पर एलडीए अपने स्तर से भी जांच कर रहा है, जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
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वहीं इंस्पेक्टर गोमतीनगर केके तिवारी ने बताया कि पुलिस ने मास्टरमाइंड बाबू पवन कुमार के खिलाफ कुल 12, जबकि प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री कराने वाले 12 अन्य आरोपित के अलावा फर्जी रजिस्ट्री के गवाहों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की है। जिसके बाद पवन को आज कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है, जबकि अन्य आरोपितों के बारे में पुलिस पता लगा रही है।
नीचें देखें क्रमश: प्लॉट संख्या, फर्जी मालिक व रजिस्ट्री की तारीख-
01- 2/156 ए, विनम्र खंड- पीर मोहम्मद- 12 अगस्त,
02- 2/200 एफ, विनम्र खंड- अवधेश कुमार- 17 जुलाई,
03- 2/202 ए1, विनम्र खंड- उमाशंकर- 14 जुलाई,
04- 3/123, विनम्र खंड- रवींद्र कुमार सिंह- सात अगस्त,
05- 1/153 ए, विनम्र खंड- इशरत जहां- एक अक्टूबर,
06- 3/96, विकल्प खंड- अनीता- 11 अगस्त,
07- 4/67 ए, विकल्प खंड- मीना- दस सितंबर,
08- 2/51 एम, विराज खंड- राजनाथ मिश्रा- 28 सितंबर,
09- 2/150, विराज खंड- राजेश पाठक- 18 सितंबर,
10- 3/630, वास्तु खंड- मोहम्मद शकिल- 14 सितंबर,
11- 2/62, विभूति खंड- नीरज सिंह- 18 सितंबर,
12- 3/293, विराट खंड- रामऔतार पाल- सात अगस्त,
13- 1/162, विनीत खंड- राजनाथ मिश्रा- दस सितंबर।
बताते चलें कि हाल ही में शिकायत मिलने पर एलडीए सचिव ने इस मामले में गोपनीय जांच कराई थी, जिसमें सामने आया कि रजिस्ट्री सेल के बाबू पवन कुमार ने नजूल अफसर आनंद कुमार की फर्जी हस्ताक्षर से 12, जबकि ओएसडी राजीव कुमार के जाली हस्ताक्षर से गोमतीनगर योजना के 13 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री बाहरी लोगों के नाम पर जाली दस्तावेज के दम पर करा दी है। शुक्रवार रात सचिव व वीसी ने पवन कुमार से इस मामले में पूछताछ करने के बाद उसे निलंबित करते हुए गोमतीनगर पुलिस के हवाले कर दिया था।
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अधिकारियों के अनुसार पवन ने कबूल किया था कि उसने न सिर्फ आनंद सिंह व राजीव कुमार, बल्कि योजना सहायक और अनुभाग अधिकारी के भी जाली हस्ताक्षर करते हुए रजिस्ट्री कराई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए शुक्रवार को एलडीए की ओर रजिस्ट्री कार्यालय लेटर भेजते हुए इन 13 प्लॉट की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने को कहा गया है। साथ ही सभी बाबूओं की कंप्यूटर आइडी भी कैंसिल कर दी गयी है।