यूपी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की ‘वफादारी’ भी परखेगी AIMIM, करा रही कॉन्ट्रैक्ट

वफादारी का कॉन्ट्रैक्ट

आरयू वेब टीम। पूरे देश भर में अपनी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के विस्तार की योजना में लगे असदुद्दीन ओवैसी का फोकस उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों पर है। यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए असदुद्दीन ओवैसी अभी से तैयारी मे लग गए हैं। इसके लिए बाकायदा एआइएमआइएम  ने अपनी तरफ से एमएलए कैंडिडेट आवेदन पत्र भी जारी कर दिया है। आवेदन पत्र के साथ वफादारी का कॉन्ट्रैक्ट भी शामिल किया गया है, जिसक लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

कॉन्ट्रैक्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि आवेदनकर्ता टिकट न मिलने की स्थिति में भी पार्टी के लिए ईमानादरी से काम करते हुए चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करेगा। आवेदनकर्ताओं को 10 हजार रुपये की आवेदन फीस भी अदा करनी होगी, जिसे पार्टी ने आवेदन शुल्क का नाम दिया है। पार्टी का प्रयास है कि इन पैसों का इस्तेमाल यूपी चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों का प्रचार करने में काम आएगी।

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गौरतलब है कि ओवैसी पहले ही तकरीबन 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में ओवैसी की पार्टी को कामयाबी हासिल हुई है। इस कामयाबी को देखते हुए उनके हौंसले बुलंद हैं, इसलिए पार्टी कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

ओवैसी की पार्टी ने साल 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 36 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी। वहीं राजीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अलग-अलग लड़ने पर पिछड़ी, दलित और मुस्लिम जातियों का वोट ही बंटेगा और ऐसा होने पर भाजपा को सीधा फायदा मिलेगा।

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद ओवैसी ने बंगाल और यूपी का विस चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। बंगाल और तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में पार्टी को कोई कामयाबी हासिल नहीं हुई, लेकिन पार्टी इस बात से खुश है कि उसने बीजेपी को रोकने में कामयाबी हासिल की है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने मीडिया को बताया कि ‘राज्य के सभी 75 जिलों में हमारे एक्टिव सदस्य हैं। प्रदेश की 18 प्रतिशत मुस्लिम आबादी में हमारा वोट प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है।’