आरयू ब्यूरो, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी को बड़ी राहत मिली है।इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 45 दिन बाद जमानत दे दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने विनय शंकर को बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले में ईडी ने आरोप लगाया है कि विनय शंकर तिवारी और उनके सहयोगी फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर बैंक ऑफ इंडिया के क्लस्टर से 754 करोड़ रुपए के लोन का दुरुपयोग किया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सिंगल बेंच के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की अदालत में इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए आरोपितों को जमानत दे दी। न्यायाधीश ने प्रवर्तन निदेशालय की जांच की कुछ पहलुओं पर भी फटकार लगाई और कहा कि जांच पूरी निष्पक्षता से होनी चाहिए। इस आदेश के बाद विनय शंकर तिवारी और अजीत पांडे दोनों को जेल से रिहा कर दिया गया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केस की सुनवाई करते हुए माना कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत इस समय इतनी गंभीरता नहीं दर्शाते कि अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में रखा जाए। कोर्ट ने ये भी देखा कि आरोपित अब तक जांच में सहयोग कर रहे हैं और सबूतों से छेड़छाड़ की कोई आशंका नहीं है। साथ ही कोर्ट ने शर्त रखा कि अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे और किसी भी प्रकार से साक्ष्य को प्रभावित नहीं करेंगे।
विनय शंकर तिवारी को ईडी ने उनके लखनऊ स्थित आवास से गिरफ्तार किया था। इसके अलावा उनकी कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज के जनरल मैनेजर और उनके रिश्तेदार अजीत पांडे को भी महराजगंज से गिरफ्तार किया गया था। ईडी के अनुसार, दोनों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये बैंक से भारी रकम का लोन लिया और उस पैसे का गलत उपयोग किया। इस मामले को लेकर ईडी ने उन्हें सीबीआई स्पेशल कोर्ट में पेश किया था, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया था।
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विनय शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और पूर्वांचल क्षेत्र में उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत मानी जाती है। वे बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के पुत्र हैं, जो अपनी मृत्यु से पहले उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। विनय शंकर तिवारी भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए क्षेत्र में प्रभावशाली राजनीतिक भूमिका निभा रहे हैं। उनके खिलाफ आरोपों के बावजूद, उनके समर्थक उन्हें बेदाग बताते हैं और मानते हैं कि यह राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकता है।
इस केस में बैंक ऑफ इंडिया के क्लस्टर से 754 करोड़ रुपए के लोन का दुरुपयोग किया गया। ईडी के मुताबिक, इस रकम को फर्जी दस्तावेज के जरिये हड़प लिया गया था। यह लोन गंगोत्री इंटरप्राइजेज के नाम पर लिया गया था, जो विनय शंकर तिवारी से जुड़ी कंपनी है। ईडी का आरोप है कि इस रकम का इस्तेमाल परियोजनाओं में नहीं किया गया, बल्कि इसे गलत तरीकों से उगाही के लिए इस्तेमाल किया गया। फिलहाल ईडी इस मामले की जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई का इंतजार है।
वहीं विनय शंकर तिवारी को जमानत मिलने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता बेहद उत्साहित हैं। उनका मानना है कि यह मामला राजनीतिक विरोधियों द्वारा रचा गया षड़यंत्र था और अब न्याय की जीत हुई है। वहीं, विपक्ष ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं और जांच पूरी होने तक मामले को बंद नहीं करने की मांग कर रहे हैं।