अयोध्या: धन्नीपुर गांव में मस्जिद के लिए आवंटित जमीन पर दावा करने वाली याचिका को हाई कोर्ट ने किया खारिज

अहमदुल्ला शाह फैजाबादी

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। अयोध्या में बनने वाली मस्जिद की जमीन को लेकर दायर की गई याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय तथा मनीष कुमार ने धन्नीपुर गांव में भूमि विवाद के खिलाफ दायर याचिका को आज खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने इस याचिका को वापस लेने की मांग की थी। दिल्ली की दो महिलाओं ने वरिष्ठ अधिवक्‍ता एचजीपी परिहार के माध्यम से याचिका दायर की थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता रमेश कुमार सिंह ने याचिका का विरोध करके कहा कि धन्नीपुर में मस्जिद के लिए आवंटित जमीन के गाटा नंबर याचिका में उल्लिखित नंबरो से अलग हैं लिहाजा याचिका गलत तथ्यों पर आधारित है और खारिज होने योग्य है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील एचजी एस परिहार ने अपनी गलती मानते हुए याचिका वापस लेने की मांग की। इस पर पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को धन्नीपुर गांव में प्रशासन की ओर से दी गई पांच एकड़ भूमि पर अधिकार को लेकर हाईकोर्ट में हुई याचिका को प्रशासन व गांव के लोग दुष्प्रचार मान रहे थे। उनका कहना था कि जिस गाटा संख्या को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है, वह पड़ोसी गांव शेखपुरजाफर का है। इसको लेकर जिलाधिकारी और चकबंदी अधिकारियों के आदेश पहले भी जारी हो चुके हैं।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दिल्ली की दो महिलाओं रानी कपूर पंजाबी व रमा रानी पंजाबी ने याचिका दायर कर मस्जिद के लिए दी गई पांच एकड़ भूमि पर को अपनी बताया है। यह मामला पहले भी जिलाधिकारी के समक्ष उठ चुका था, जिसका बाकायदा निस्तारण कर दावा करने वाले पक्ष को जवाब भी दिया गया था। कोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात सामने आई तो हलचल बढ़ गई।

रौनाही प्रधान के प्रतिनिधि मेराज खान ने कहा धन्नीपुर गांव पहले रौनाही का ही मजरा था, परिवार के लोग लंबे समय तक प्रधान थे। याचिका देने वाली महिलाओं का कभी पंचायत में जिक्र तक नहीं आया। यह केवल मीडिया में आने व दुष्प्रचार के लिए है। मैं नही समझता शासन से आवंटित भूमि में कोई विवाद है। विवाद शेखपुर जाफर की भूमि में बताया जाता रहा है, जो धन्नीपुर से सटा गाटा व रकबा है।

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