प्रधानमंत्री मोदी की किसानों से अपील, “खत्‍म करें आंदोलन, कोई नहीं खत्‍म कर सकता MSP”

खत्‍म करें आंदोलन
राज्यसभा में बोलते प्रधानमंत्री।

आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए सोमवार को एक बार फिर केंद्र के नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है। साथ ही पीएम मोदी ने किसान आंदोलन को समाप्‍त करने की अपील कर कहा कि कानून को लेकर किसानों की हर शंका का समाधान किया जाएगा।

वहीं ये भी कहा कि एमएसपी को कोई खत्म नहीं कर सकता। एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा।’ पीएम ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का जिक्र कर कहा कि आज विपक्ष कृषि रिफॉर्म्स पर यू टर्न क्यों ले रहा है? कुछ लोग नए कृषि कानूनों पर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘हम लोग कुछ शब्‍दों से बड़े परिचित हैं। श्रमजीवी, बुद्धिजीवी, ये सारे शब्‍दों से परिचित हैं, लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हो गई है और वो है आंदोलनजीवी। ये जमात आप देखोगे वकीलों का आंदोलन है, वहां नजर आएंगे… स्‍टूडेंट का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे… मजदूरों का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे… कभी पर्दे के पीछे कभी पर्दे के आगे। ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है। वो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। ये आंदोलनजीवी दरअसल परजीवी होते हैं।’

इस दौरान मोदी ने कहा, किसानों और सरकार के बीच बातचीत के रास्ते कतई बंद नहीं हुए हैं। कृषि मंत्री लगातार किसानों के संपर्क में हैं। उन्होंने किसानों को संदेश देते हुए कहा, नए कृषि कानून देश में बड़ा परिवर्तन लाने वाले साबित होंगे। कानून लागू होने का मतलब यह कतई नहीं है कि बाद में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। भविष्य में भी कहीं कोई कमी नजर आए तो उसे सुधारा जाएगा। साथ ही किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील की।

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राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान हुए हंगामे पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘अच्छा होता कि राष्ट्रपति का भाषण सुनने के लिए सब होते तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती, लेकिन राष्ट्रपति के भाषण की ताकत इतनी थी कि न सुनने के बाद भी बात पहुंच गई। उन्होंने साफ कहा कि भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी कोई भी खाल उधेड़ सके।

वहीं पीएम मोदी ने कहा, सोशल मीडिया में देखा होगा कि फुटपाथ पर बैठी बूढ़ी मां दीया जलाकर बैठी थी। हम उसका मखौल उड़ा रहे हैं, जिसने स्कूल का दरवाजा नहीं देखा, पर उन्होंने देश में सामूहिक शक्ति का परिचय करवाया। विरोध करने के लिए कितने मुद्दे होते हैं, लेकिन देश के मनोबल तोड़ने वाली बातों में न उलझें। हमारे कोरोना वॉरियर्स, जिन्होंने कठिन समय में जिम्मेदारी निभाई, उनका आदर करना चाहिए। देश ने ऐसा करके दिखाया।

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