आरयू वेब टीम। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया। इस दौरान अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का प्रस्ताव पेश किया। अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा था जो दो जुलाई 2019 को पूरा हो रहा है, राज्य में अभी विधानसभा अस्तित्व में नहीं है, इसलिए छह माह के लिए राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए।
जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे से लौटने के बाद अमित शाह लोकसभा में आज पहली बार बोल रहे थे। अमित शाह ने कहा कि चुनाव आयोग ने भी केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों से बात करके निर्णय लिया है कि इस साल के अंत में ही वहां चुनाव कराना संभव हो सकेगा। गृहमंत्री ने कहा, ‘पिछले एक साल के अंदर जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए इस सरकार ने बहुत से कार्य किए हैं।
जम्मू-कश्मीर में कई सालों से पंचायत के चुनाव नहीं कराये जाते थे, लेकिन हमारी सरकार ने पिछले एक साल में वहां चार हजार से अधिक पंचायतों में चुनाव कराए और 40 हजार से अधिक पंच सरपंच आज लोगों की सेवा कर रहे हैं। शाह ने कहा, ‘पहले कई बार जम्मू कश्मीर में हमने रक्त रंजित चुनाव देखे हैं। सबको इस पर मलाल होता था। इस बार 40 हजार पदों के लिए चुनाव हुआ पर एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई। संसद के चुनाव में भी हिंसा नहीं हुई है। ये दर्शाता है कि जम्मू कश्मीर में लॉ एंड ऑर्डर बेहतर है।
साथ ही अमित शाह ने यह भी कहा कि पहली बार जम्मू कश्मीर की जनता ये महसूस कर रही है कि जम्मू और लद्दाख भी राज्य का हिस्सा है। सालों से लंबित मसले देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने पिछले एक साल में निपटा दिए। लोकसभा में बोल रहे हैं अमित शाह लोकसभा में अमित शाह ने कहा, ‘दूसरे प्रस्ताव में जम्मू कश्मीर के संविधान के सेक्शन पांच और नौं के तहत जो आरक्षण का प्रावधान है उसमें थोड़ा संशोधन कर कुछ नए क्षेत्रों को जोड़ने का प्रस्ताव लेकर आया हूं, जिसके तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों के लोगों के लिए जो आरक्षण है उसी के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय सीमा में रहने वालों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए।