आरयू वेब टीम। भारत सरकार और बोडो समुदाय के बीच हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पहली बार असम के कोकराझार पहुंचे, जहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। मोदी ने जनसभा की शुरुआत स्थानीय भाषा के साथ की। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस जगह से मेरा पुराना रिश्ता, लेकिन आज जो उत्साह देखने को मिला है वैसा कभी नहीं मिला।
उन्होंने आगे कहा कि मैं आज असम के साथियों को आश्वस्त करने आया हूं कि असम विरोधी, देश विरोधी हर मानसिकता और इसके समर्थकों को देश न बर्दाश्त करेगा और न माफ करेगा। यही ताकतें हैं जो पूरी ताकत से असम और नॉर्थ ईस्ट में भी अफवाहें फैला रही हैं कि सीएए से यहां बाहर से लोग आकर बस जाएंगे।
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असम की रैली में राहुल गांधी के डंडे वाले बयान का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि कभी-कभी लोग मोदी को डंडा मारने की बाते कहते हैं, लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो उस पर कितने ही डंडे गिर जाएं उसको कुछ नहीं होता।
PM मोदी की बड़ी बातें
- अब इस धरती पर किसी भी मां के बेटे-बेटी का खून नहीं गिरेगा।
- हिंसा के अंधकार को अब इस धरती पर लौटने नहीं देंगे।
- आज का दिन संकल्प लेने का है कि विकास और विश्वास की मुख्य धारा को मजबूत करना है।
- आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत, एक नए सवेरे का, नई प्रेरणा का स्वागत करने का है।
- गांधी जी कहते थे कि अहिंसा के मार्ग पर चलकर हमें जो भी प्राप्त होता है वो सभी को स्वीकार होता है।
अहम क्यों है दौरा
- बोडो असम का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है।
- 2012 में हुए दंगों में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी।
- इसी साल जनवरी में असम में करीब 644 उग्रवादियों ने सरेंडर किया।
- सरेंडर करने वालों में 8 प्रतिबंधित संगठनों के उग्रवादियों ने किया सरेंडर।
बोडोलैंड का कैसे होगा विकास
- बोडोलैंड ग्रामीण विकास इंस्टीट्यूट बनेगा।
- कैंसर अस्पताल और मेडिकल कालेज खुलेंगे।
- इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनेगी।
- रेलवे कोच फैक्ट्ररी खुलेगी।
- नेशनल स्पोर्टस यूनिवर्सिटी खुलेगी।
क्या है असम का बोडो समझौता
- बोडो समझौता केंद्र सरकार और असम की बोडो जनजाति से जुड़े कुछ उग्रवादी संगठनों के साथ हुआ है।
- असम की बोडो जनजाति से जुड़े ये उग्रवादी काफी लंबे अरसे से अलग बोडोलैंड की मांग कर रहे थे।
- अलग बोडोलैंड की मांग को लेकर इन्होंने कई बार हिंसक विरोध प्रदर्शन और आगजनी और बम विस्फोट किए।
- 27 जनवरी 2020 को केंद्र सरकार और बोडो जनजाति के कुछ उग्रवादी संगठनों के साथ एक समझौता हुआ है।