आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। बीएड टीईटी 2011 के अभ्यर्थियों और माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षकों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई को लेकर बुधवार को कांग्रेस ने योगी सरकार पर जहां जमकर हमला बोला है। वहीं उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठाएं हैं।
शिक्षक दिवस पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए आज कांग्रेस ने कहा है कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री तक ने शिक्षकों को बधाई संदेश भेजा है, लेकिन किसी ने भी उनकी समस्या के समाधान के लिए कोई घेाषणा नहीं की, उल्टे उन पर लाठी चलवाकर उनका उत्पीड़न ही किया गया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ओंकारनाथ सिंह ने आज अपने एक बयान में कहा कि योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जिससे शिक्षा का स्तर प्रदेश में निरंतर गिरता गया। सरकार बेसिक शिक्षा के प्रति इतनी उदासीन है कि प्रदेश में तीन लाख पद शिक्षकों के खाली हैं और अभी तक भर्ती की सही प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी है। जबकि अनेक प्रयासों के बाद 68 हजार पांच सौ शिक्षकों के पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया में लगभग 41 हजार शिक्षकों की ही भर्ती की जा सकी है।
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प्रदेश के सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों में लगभग एक करोड़ 16 लाख बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। शिक्षा का स्तर अच्छा न होने के कारण करीब एक करोड़ 85 लाख बच्चे अधिक फीस वाले प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।
सफलता मानने की जगह करे विचार
ओंकानाथ ने कहा कि जहां तक माध्यमिक विद्यालयों की बात है इस साल 10वीं और 12वीं की परीक्षा में लगभग छः लाख बच्चों ने परीक्षा ही छोड़ दी थी। जिस पर मुख्यमंत्री ने यह कहकर अपनी पीठ थपथपाई कि नकल में सख्ती के कारण बच्चों ने परीक्षाएं छोड़ी हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि साल 2017 में तीन लाख 39 हजार, 2016 में साढ़े सात लाख और 2015 में पांच लाख पैंतीस हजार बच्चों ने परीक्षा का बहिष्कार किया है। ऐसी स्थिति में सरकार यह विचार नहीं कर रही है कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे परीक्षा का बहिष्कार क्यों कर रहे हैं, बल्कि इसे अपनी सफलता मानकर अपना उपहास करा रही है।
दोषपूर्ण है शिक्षा प्रणाली
प्रदेश प्रवक्ता ने दावा किया है कि सरकार इस बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है कि एक ही कक्षा में विभिन्न प्रकार के शिक्षकों द्वारा शिक्षण का जो कार्य किया जा रहा है, उसका प्रभाव छात्रों पर सहीं नहीं पड़ रहा है। प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा मित्र, जूनियर हाईस्कूल में अनुदेशक और डिग्री कालेजों में स्ववित्त पेाषित शिक्षकों को रेगुलर शिक्षकों के साथ जो शिक्षा प्रणाली अपनाई जा रही है वह बहुत ही दोषपूर्ण है। सरकार को जल्द से जल्द इसका समाधान ढूंढना चाहिए।