आरयू वेब टीम। आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने डॉ कृष्णा एल्ला और उनकी टीम के साथ गुरुवार को भारत बायोटेक के नेजल कोविड टीके इनकोवैक को लॉन्च किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट कर कहा कि दुनिया की पहली कोविड नेजल वैक्सीन! ये वैक्सीन भारत के सामर्थ्य और क्षमता की मिसाल है। पीएम नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व और नए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
साथ ही कहा कि दुनिया का पहला इंट्रा-नेजल कोविड-19 वैक्सीन होने के नाते, ये आत्मनिर्भर भारत के लिए एक शानदार उपलब्धि है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत की वैक्सीन निर्माण क्षमता की दुनिया भर में सराहना हो रही है। भारत ने गुणवत्तापूर्ण और सस्ती दवाओं के उत्पादन में अपनी पहचान बनाई है। वहीं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने विकासशील दुनिया में आम बीमारियों के लिए टीके और दवाएं विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 12 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों समेत लोगों में लगाए जाने वाले दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए आधारित टीका भी जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ साझेदारी में विकसित किया गया था। इनकोवैक एक लागत प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन है जिसमें सीरिंज, सुई, अल्कोहल वाइप्स, बैंडेज आदि की जरूरत नहीं पड़ती है। खरीद, वितरण, भंडारण, और बायोमेडिकल अपशिष्ट निपटान से संबंधित लागत की बचत होती है।
यह भी पढ़ें- कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच नेजल वैक्सीन को मिली मंजूरी, नाक में दो बूंद ड्रॉप डालकर होगा वैक्सीनेशन
सरकार द्वारा खरीद के लिए इंट्रानेजल वैक्सीन की कीमत 325 रुपये प्रति शॉट और निजी टीकाकरण केंद्रों के लिए प्रति शॉट 800 रुपए होगी। बिना सुई के टीकाकरण के रूप में, भारत बायोटेक का इन्कोवैक भारत की पहली ऐसी बूस्टर डोज होगी। तीसरी डोज या एहतियाती डोज की बात आने पर भारत के पास अब अधिक विकल्प होंगे। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने कहा कि इन्कोवैक बड़े पैमाने पर टीकाकरण को चिंता के उभरते वेरिएंट से बचाने में सक्षम बनाता है।
पिछले साल नवंबर महीने में भारत बायोटेक को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से इन्कोवैक की बूस्टर डोज के उपयोग के लिए मंजूरी मिली थी। भारत बायोटेक ने इस नेजल वैक्सीन को अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया है। तीन फेज के ट्रायल के दौरान ये नेजल वैक्सीन कारगर साबित हुई थी। तीसरे चरण में जब इसका ट्रायल हुआ था तो तीन हजार से अधिकर लोगों को इसे बूस्टर डोज के रूप में दिया गया था