आरयू इंटरनेशनल डेस्क। नेपाल में बीती रात आए भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। नेपाल पुलिस के मुताबिक मरने वालों की संख्या शनिवार दोपहर बढ़कर 154 तक पहुंच गई है। जाजरकोट में 92 लोगों की मौत हुई है और रूकुम में 62 लोगों की मौत हुई है। इस भूकंप में डिप्टी मेयर सरिता सिंह की भी मौत हुई है। अधिकारियों ने शनिवार तड़के कहा था कि मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है, जबकि कई जगहों पर कम्युनिकेशन पूरी तरह से कट गया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने हेलीकॉप्टर से प्रभावित इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया है। वहीं, चिकित्सा टीमों और दवाओं को लेकर भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में उड़ान भरने के लिए तीन हेलीकॉप्टर तैयार किए गए, जोकि मौसम खुलते ही ये हेलीकॉप्टर काठमांडू से भेजे जाएंगे।
अधिकारी के मुताबिक सुरक्षाकर्मी मृतकों और घायलों को मलबे से निकालने के लिए ग्रामीणों के साथ बचाव अभियान में लगे जुट गए, हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर पहुंचने में काफी मुश्किलें आ रही हैं, क्योंकि भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण हुए भूस्खलन के कारण कुछ रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं।
भूकंप से दिल्ली से लेकर लखनऊ तक हिला
गौरतलब है कि भूकंप के झटके नई दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और भारत के कई अन्य स्थानों पर भी लगभग उसी समय महसूस किए गए, जब कई लोग अपने घरों में सो रहे थे। उत्तर भारत के लखनऊ, प्रयागराज, फरीदाबाद, गुरुग्राम, भागपत, वाराणसी, सुल्तानपुर, कुशीनगर, गोरखपुर और मिर्जापुर सहित अन्य दर्जनों जिलों में भी झटके महसूस किए गए।
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रिपोर्ट के मुताबिक, रिक्टर पैमाने पर भूकंप का मैग्नीच्यूड 6.4 मापा गया है और इसका सेंटर नेपाल में ही था। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र ने कहा, कि इसका केंद्र जाजरकोट में था, जो नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 250 मील उत्तर पूर्व में है।
आपको बता दें, कि पर्वतीय देश नेपाल में भूकंप आना आम हैं। 2015 में, 7.8 तीव्रता के भूकंप ने लगभग 9,000 लोगों की जान ले ली थी। लिहाजा, सवाल ये उठता है, कि आखिर नेपाल में बार-बार भूकंप के झटके क्यों आते हैं?