आरयू ब्यूरो
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र को बसपा सुप्रीमों ने हवा-हवाई बताया है। मायावती ने प्रेसवार्ता में कहा कि भाजपा अपने लोकसभा चुनावी वादों का एक चौथाई हिस्सा भी पौने तीन साल में पूरा नहीं कर पाई।
उसने विदेशों से कालाधन लाकर 15 से 20 लाख रुपये देने समेत अपने अन्य पिछले वादों से जनता को सिर्फ धोखा देने का काम किया है। भारी विफलताओं और वादा खिलाफी के बाद बीजेपी को चुनावी घोषणा पत्र जारी करने का नैतिक अधिकार ही नहीं है।
उसके बाद भी वह जनता को आज किए अपने लुभावने वादों से बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी को ऐसा करने से पहले मालूम होना चाहिए कि यह गुजरात नहीं उत्तर प्रदेश है, यहां कि जनता बार-बार धोखा खाने वालों में से नहीं है।
यह हर कोई जानता है कि भारतीय जनता पार्टी कुर्सी मिल जाने के बाद वादों को रद्दी की टोकरी में डाल देती है। विधानसभा चुनाव में जनता वादाखिलाफी के लिए भाजपा को ब्याज सहित जरूर सबक सिखाएगी।
बीजेपी केन्द्र के बाद उत्तर प्रदेश में सरकार बनाकर न सिर्फ प्रदेश को लूटना चाहती है, बल्कि पिछड़ों, दलितों समेत अन्य का आरक्षण भी सदा-सदा के लिए खत्म करना चाहती है।
मुख्तार अंसारी परिवार के बसपा में शामिल होने के बाद बसपा पर मफियाओं को बढ़ावा देने के बीजेपी के आरोप पर बसपा सुप्रीमों ने पलटवार करते हुए कहा कि गुंडों की बात करने वाले भाजपा को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
इनके नेताओं को अपने अध्यक्ष अमित शाह और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या के बारे में ठीक से जानकारी कर लेनी चाहिए कि इनका इतिहास क्या रहा है और किस तरह से सब मैनेज किया गया। यह किसी से छिपा नहीं है।
‘बसपा नहीं जारी करेगी घोषण पत्र’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बसपा सपा और भाजपा की तरह लोकलुभावन वादों वाला घोषणा पत्र नहीं जारी करेगी। मायावती ने कहा कि एक फरवरी से बसपा की रैली और जनसभाएं शुरू हो जाएंगी। इन जगाहों पर बसपा की ओर से जो भी घोषणाएं होंगी उसे ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूरा किया जाएगा।
प्रदेश के साथ ही देश की जनता भी जानती है कि बसपा की कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है।