आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते लोगों की जिंदगी ठहर गई है। यह समय जनता की भूख और धैर्य की परीक्षा लेने का भी नहीं है। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कामयाब नहीं है। इसमें लगातार उजागर हो रही प्रदेशव्यापी गड़बड़ियों का संज्ञान लेकर सरकार इसे रोके।
अखिलेश ने सवाल उठाते हुए मंगलवार को अपने बयान में कहा कि सरकार आखिर किस बात का इंतजार कर रही है? भूख से व्याकुल गरीबों और जरूरतमंदों की जिंदगी का यह सवाल है।
सपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि कोरोना के कारण लॉकडाउन का अनेक डरावने पक्ष हैं। आगरा के थाना हरीपर्वत के सामने दो दिन पहले एक दंपत्ति राशन खत्म होने पर भूख से लड़ते-लड़ते जब हार गये तो पति-पत्नी अपना खून बेचकर भोजन की व्यवस्था करने निकले तो पुलिस रोक कर पूछा कि लॉकडाउन क्यों तोड़ा? उनकी हृदय विदारक व्यथा सुनकर पुलिस भी सन्न रह गयी।
चावल की जगह दी जा रही ईंट-मिट्टी
अखिलेश ने कहा कि मेरठ में बीते 17 अप्रैल को राशन के चावल में ईंट-पत्थर और मिट्टी निकली थी। मेरठ में 929 सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों की तरह ही प्रदेश की यही स्थिति है। भ्रष्टाचार का यह तरीका जिसमें से अच्छा गुणवत्ता का चावल निकाल कर ईंट, पत्थर और मिट्टी चावल में मिलाकर सरकारी सस्ते राशन की दुकानों से दिया जा रहा है, यह शर्मनाक एवं घोर निंदनीय कृत्य है।
पीडीएस मामलों में सरकारी तंत्र चला रहा घोटाला राजनीति
योगी सरकार पर हमला जारी रखते हुए यूपी के पूर्व सीएम ने कहा कि दुःख और क्षोभ का विषय है कि जहां एक ओर स्वयंसेवी संगठन और सपा कार्यकर्ता अपने साधनों से जरूरतमंदों को राशन और भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। वहीं सरकारी कोटेदार गरीबों के राशन पर डाका डालने से नहीं चूक रही है। राशन वितरण में लगातार अनियमितताएं बरती जाने की शिकायतें आ रही है। सरकारी तंत्र पीडीएस के मामलों में ‘घोटाला‘ राजनीति ही चला रहा है इसमें उसके अपने स्वार्थ हैं।
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उन्होंने आगे कहा कि बदायूं में राशन लेने गई एक महिला तीन घंटे तक धूप में लाइन लगाए खड़ी रही, वहीं उसकी मौत हो गई। यह दुःखदायी घटना है। यहां भूख व अव्यवस्था के सामने जिंदगी हार गयी।
इन घटनाओं के बाद भी सरकार कब तक गरीबों की मौत का तमाशा देखती रहेगी? राशनकार्ड धारकों को ही जब निर्धारित राशन नहीं मिल पा रहा है तो उन गरीबों, जरूरतमंदों को कौन पूछेगा जिनके पास अपने राशनकार्ड या आधारकार्ड नहीं है।
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अखिलेश ने आरोप लगाते हुए यह भी आज कहा कि यह भी जरूरी नहीं है कि हर गरीब-मजदूर राशन वितरण केंद्रों तक पहुंच पाए, इसलिए सपा कार्यकर्ता स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करते हुए दूरस्थ बस्तियों तक खाद्य सामग्री पहुंचा रहे हैं। इसमें भी प्रशासन की राजनीति कई जगह व्यवधान पैदा कर रही है, यह सर्वथा अनुचित है।