आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। इंसान जैसा जीवन जीता है, वैसा लिखता है तो संस्मरण बनता है। सार्वजनिक जीवन में कोई व्यक्ति अच्छे कर्म कर किस प्रकार फर्श से अर्श की बुलंदियों पर पहुंचता है, राज्यपाल राम नाईक का जीवन इसका प्रमाण है। उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को आलमबाग स्थित शिव शांति आश्रम में राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के सिंधी संस्करण का लोकार्पण करने के बाद कही।
योगी ने आगे कहा कि जीवन नकारात्मकता का नाम नहीं है। राज्यपाल की रचनात्मक और सकारात्मक सोच आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। राष्ट्रगान जन-गण-मन में सिंध का नाम आता है। सिंधी समाज इस बात को बेहतर समझता है। सिंधीयों ने खुद को देश में स्थापित किया तथा देश के विकास में योगदान दे रहे हैं।
संघर्ष का पर्याय है लालकृष्ण आडवाणी का व्यक्तित्व
इस दौरान सिंधी समाज से संबंध रखने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता का जिक्र करते हुए योग ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी का व्यक्तित्व संघर्ष का पर्याय है। उन्होंने उप प्रधानमंत्री पद का सफर तय किया। भारत की मूल संस्कृति सिंधु संस्कृति है। उन्होंने कहा कि सिंधी नहीं तो हिंदी नहीं।
राज्यपाल नहीं, लेखक के तौर…
वहीं लोगों को संबोधित करते हुए राम नाईक ने कहा कि आज वो यहां राज्यपाल के रूप में नहीं बल्कि लेखक के तौर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। राज्यपाल ने बताया कि तीन सिंधी नेताओं का उनके सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मुंबई भारतीय जनसंघ में कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हुये जनसंघ के मुंबई अध्यक्ष झमटमल वाध्वानी से एवं विधायक रहते हुये नेता विधायक दल हशु आडवाणी से उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में बहुत सीखा है। राज्यपाल ने कहा कि 1989 से सांसद रहे तो अटल जी एवं आडवाणी जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। उनकी पुस्तक का सिंधी में प्रकाशन का कार्यक्रम उन्हें बहुत समाधान देने वाला अवसर है। उन्होंने कहा कि सिंधी अनुवादक सुखराम दास ने पूर्ण दायित्व से अनुवाद कर पुस्तक के साथ न्याय किया है।
महत्व की बात है दस भाषाओं के संस्करणों में उपलब्ध होना
गर्वनर ने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अब ये हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती एवं संस्कृत सहित छह भाषाओं में अनुवादित होकर प्रकाशित हो चुकी है। सिंधी संस्करण का लोकार्पण आज सातवां कार्यक्रम है। कल नई दिल्ली में अरबी एवं फारसी भाषा में पुस्तक का लोकार्पण है, इसके बाद शीघ्र ही पुस्तक के जर्मन भाषा अनुवाद का लोकार्पण पुणे में होगा। किसी पुस्तक का दस भाषाओं के संस्करणों में उपलब्ध होना महत्व की बात है।
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सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया इण्डिया द्वारा आयोजित लोकार्पण समारोह में राज्यपाल राम नाईक और उनके परिजन सहित चिकित्सा एवं प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टण्डन, महिला कल्याण एवं पर्यटन मंत्री प्रो. रीता बहुगुणा जोशी, न्याय एवं विधि मंत्री बृजेश पाठक, यूपी के पूर्व मंत्री अम्मार रिजवी समेत तमाम लोग मौजूद रहें।