आरयू ब्यूरो, लखनऊ। मऊ से बसपा विधायक व बाहुबलि नेता मुख्तार अंसारी को बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की तरफ से बड़ी राहत मिली है। दरअसल आज हाई कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी व उमर अंसारी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। लखनऊ पुलिस की ओर से दोनों पर 25-25 हजार का ईनाम घोषित था।
यह ईनाम पुलिस ने हजरतगंज के डालीबाग स्थित एक शत्रु संपत्ति पर अवैध निर्माण कराने के आरोप में अब्बास व उमर पर मुकदमा दर्ज करने के बाद घोषित किया था। इससे पूर्व लखनऊ विकास प्राधिकरण ने दोनों भाईयों के मकानों को जमीदोज कर दिया था।
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आज जस्टिस डीके उपाध्याय व जस्टिस संगीता यादव की पीठ ने अब्बास अंसारी व उमर अंसारी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए मामले की विवेचना के दौरान गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को जांच में पुलिस का सहयोग भी करने को कहा है।
वहीं अंसारी बंधुओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं जेएन माथुर, एचजीएस परिहार व अरूण सिन्हा ने हाई कोर्ट के सामने पक्ष रखा। जेएन माथुर ने तर्क दिया कि प्राथमिकी को पढ़ने से ही याचियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई अपराध ही नहीं बनता। उन्होंने कहा कि जब अपराध करने की बात की जा रही है उस समय तो दोनों भाई पैदा तक नहीं हुए थे। वकील ने पुलिस-प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह मुकदमा दुर्भावना के कारण लिखा गया था।
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दूसरी ओर महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिका पोषणीय नहीं है, क्योकि याचीगण कोर्ट के सामने क्लीन हैण्ड से नहीं आये हैं। राघवेंद्र सिंह ने पीठ को संतुष्ट करने के लिए यह भी तर्क दिया कि याची अग्रिम जमानत का आवेदन कर सकते हैं, इसलिए उन्हें रिट दायर कर प्राथमिकी को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। हालांकि सुनवाई कर रही पीठ ने महाधिवक्ता के सारे तर्कों को नकारने के साथ ही यहां तक कहा कि महाधिवक्ता के तर्क मिथ्या हैं।