आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक बड़े फैसले में केंद्र की महत्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना’ को मंजूरी दे दी। इससे नई संसद बनने का रास्ता साफ हो गया। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी दिए जाने और इसके लिए भूमि उपयोग में बदलाव सहित अनेक बिन्दुओं पर सवाल उठाए गए थे।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने पिछले साल पांच नवंबर को इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इन पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा, हालांकि इसी दौरान न्यायालय ने सात दिसंबर को केन्द्र सरकार को सेंट्रल विस्टा परियोजना के आयोजन की अनुमति दे दी थी।
यह भी पढ़ें- केंद्र की सेंट्रल विस्टा परियोजना पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार
सरकार ने न्यायालय को आश्वासन दिया था कि इस परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओ का निबटारा होने तक निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने या पेड़ों को काटने जैसा कोई काम नहीं किया जाए। परियोजना का शिलान्यास कार्यक्रम दस दिसंबर को आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद भवन की नई इमारत की आधारशिला रखी थी।
इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है। यह परियोजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है।