आरयू ब्यूरो, लखनऊ/सहारनपुर। “आई लव मोहम्मद” विवाद और पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज के बाद बरेली में हिंसा ने अब सियासी रंग इख्तियार कर लिया है। इस बीच हिंसा पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने के लिए गुरुवार को बरेली जाने वाले नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद को सहारनपुर पुलिस ने उनके आवास पर ही हाउस अरेस्ट कर लिया। प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उन्हें घर से बाहर निकलने से रोक दिया। जिसके बाद चंद्रशेखर ने आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सरकार सच छिपाना चाह रही है इसलिए रोक रही है।
चंद्रशेखर ने घर से निकलने की कई बार कोशिश की, लेकिन बाहर मौजूद भारी पुलिसबल ने उन्हें निकलना नहीं दिया। वहीं अपने आवास पर मीडिया से बातचीत करते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि अगर बरेली में मेरे मुस्लिम भाइयों के साथ कुछ भी गलत नहीं हुआ है, उनके साथ अन्याय नहीं हो रहा तो योगी सरकार अपनी पुलिस बल का इस्तेमाल कर मुझे वहां जाने से क्यों रोकना चाहती है। सांसद ने कहा कि वह बरेली की घटना की समीक्षा करने और पीड़ितों से मिलने वाले थे, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें रोक दिया। जिससे उनके समर्थकों में नाराजगी है।
लोकतांत्रिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन
वहीं नगीना सांसद ने आरोप लगते हुए कहा कि योगी सरकार और प्रशासन सच को सामने आने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। ये लोकतांत्रिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। पीड़ितों की आवाज दबाने और समाज के अधिकारों की लड़ाई को कुचलने की कोशिश किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे और हमेशा समाज के साथ खड़े रहेंगे। साथ ही चंद्रशेखर ने योगी सरकार से सवाल पूछा, ‘पुलिस का इस्तेमाल करके हमें क्यों रोकना चाहती है।
झूठ को सच लिख सकते हैं, अखबार आपका
सांसद ने आगे कहा कि सेना आपकी है, नेता आपके हैं। झूठ को सच लिख सकते हैं, अखबार आपका है। इस दौर के फरियादी कहां जाएं? कानून आपका है, अदालत आपकी है। आप सूरज की तपिश बर्दाश्त नहीं कर सकते, आपका चरित्र मोम के पुतले जैसा है। पुलिस का इस्तेमाल करके लोकतंत्र को कुचलने वाले तानाशाहों की बात सुनिए। अगर ये तानाशाह हम पर नजर रखने की जिद पर अड़े हैं, तो हम भी इस बहुजन समाज को न्याय दिलाने के लिए दृढ़ हैं।’
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हिंसा की हो निष्पक्ष जांच
इस दौरान चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि “26 तारीख को वहां एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति अराजक हो गई। कोई भी घटना अचानक नहीं होती, उसके पीछे एक योजना होती है। अब, वे योजना उन आरोपितों की भी हो सकती है या फिर आरोप लगाने वालों की, निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। बिना जांच के कोई भी कार्रवाई उचित नहीं है। इस घटना के बाद बरेली में 82 से ज्यादा लोगों को जेल भेजा गया है और 2,000 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं। लोग मस्जिद नहीं जा पा रहे हैं, नमाज नहीं पढ़ पा रहे हैं, न ही अपने धार्मिक विश्वासों का पालन कर पा रहे हैं। वे अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। कई घरों पर ताले लगे हैं और बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, वे पूरी तरह से फंस गए हैं।
गिरफ्तारी पर लगे रोक
नगीना सांसद ने कहा कि हमारी मांग है कि आगे किसी गिरफ्तारियां न हो, किसी के घर पर बुलडोजर ना चले, किसी को गोली ना मारी जाए और जनसामान्य में समन्वय बना कर, समितियां बनाकर इस तरह का माहौल बने। निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगे, जो निर्दोष लोग गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए उनकी जांच हो जाए, जो इस बात का सबूत दे दे कि वह हिंसा के वक्त मौजूद नहीं था तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।
गौरतलब है कि चंद्रशेखर आजाद के बरेली जाने की सूचना मिलते ही बुधवार देर रात को कई थानों की पुलिस कस्बा छुटमलपुर पहुंची और आजाद के आवास की घेराबंदी कर ली। सुबह तक पुलिस की संख्या बढ़ा दी गई और इलाके में बैरिकेटिंग्स कर दी गई। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बाहर निकलने नहीं दिया।