आरयू ब्यूरो, लखनऊ। संसद के शीतकालीन सत्र में आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने गुरुवार को मेंस्ट्रुअल लीव (मासिक धर्म अवकाश) को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने वाली नीति बनाने की मांग की और कहा कि इसको लेकर राष्ट्रीय नीति बननी चाहिए।
चंद्रशेखर ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। जिसमें ये मांग उठाते हुए कहा कि इसको लेकर कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है, जबकि कई देशों में ऐसी नीति मौजूद है। हम सरकार से अपील करते हैं कि मेंस्ट्रुअल लीव पर राष्ट्रीय नीति तैयार हो और अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं को इसमें शामिल किया जाए। नगीना से सांसद ने लोकसभा में चुनाव सुधारों और सामाजिक मुद्दों पर चल रही बहस के दौरान यह मुद्दा उठाया।
आजाद समाज पार्टी प्रमुख ने तर्क दिया कि मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं है, ये महिलाओं के लिए प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इससे जुड़ी पीड़ा उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है। साथ ही कहा कि दो-तीन राज्य मेंस्ट्रुअल लीव देती है, लेकिन यह राष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य नहीं है। इसे राष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य करने की जरूरत है। हर महिला को मेंस्ट्रुअल लीव का अधिकार मिले। सरकार से हमारी यही अपील है।
वहीं आगे कहा कि जापान, इंडोनेशिया, स्पेन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में मेंस्ट्रुअल लीव को लेकर पहले से कानून हैं, लेकिन भारत में राष्ट्रीय स्तर पर इसको लेकर अभी कोई कानून नहीं है। भारत के कुछ राज्यों में पहले से ही पेड पीरियड लीव का प्रावधान है। इसकी शुरुआत बिहार में साल 1992 में हुई। महिलाऐं हर महीने दो पीरियड लीव ले सकती हैं, लेकिन यह केवल सरकारी महिला कर्मचारियों के लिए है।
यह भी पढ़ें- रामभद्राचार्य के बयान पर बोले चंद्रशेखर, जिस संत की आंखें नहीं, उनके कितने पाप होंगे, लोग अपराधी से ले रहे ज्ञान
गौरतलब है कि कर्नाटक के अलावा केरल, बिहार और ओडिशा में पेड मेंस्ट्रुअल लीव मिलती है। केरल ने 2023 में विश्वविद्यालयों और आइटीआइ में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए भी पीरियड और मैटरनिटी लीव का ऐलान किया था। वहीं, बिहार और ओडिशा में राज्य कर्मचारियों के लिए साल में 12 दिनों का पेड मेंस्ट्रुअल लीव दिया जाता है। ओडिशा में इसे 2024 में लागू किया गया था।




















