आरयू वेब टीम। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने जजों को मिलने वाली धमकियों के बाद जांच एजेंसियों के सुस्त रवैये को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। जस्टिस रमन्ना ने कहा है कि देश में जजों को धमकाने का नया ट्रेंड शुरू हो गया है और जजों के पास शिकायत के लिए कोई स्वतंत्रता नहीं है। उन्होंने कहा धमकियों को लेकर अगर जज पुलिस और सीबीआइ से शिकायत भी करते हैं तो सीबीआइ और पुलिस उत्तर ही नहीं देते। सीजेआइ ने कहा कि सीबीआइ न्यायपालिका की सहायता नहीं कर रही है और वे यह टिप्पणी बहुत जिम्मेदारी के साथ कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने सीबीआइ को लेकर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि, “जजों को धमकियां भरे मैसेज और कॉल आते हैं, कई शिकायतें की गई, लेकिन सीबीआइ ने कुछ नहीं किया, सीबीआइ के व्यव्हार में कोई बदलाव नहीं हुआ और यह दुख के साथ कहना पड़ रहा है।
दरअसल झारखंड के धनबाद में जज की हत्या का मामले में जजों की शिकायतों पर सीबीआइ के रवैए से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस देश में कई ऐसे मामले है जिसमें गैंगेस्टर/हाईप्रोफाइल लोग शामिल हैं। ऐसे लोग जजों को धमकी देते है, कुछ मामलों में सीबीआइ जांच के आदेश भी हुए, लेकिन सीबीआई ने कुछ नही किया।
जज की हत्या के मामले में सीबीआइ को नोटिस जारी किया गया है। मामले में सोमवार को सुनवाई होगी। वहीं सीजेआइ ने कहा कि 2019 में ऐसे मामले में केंद्र को जवाब देना था, लेकिन केंद्र ने जवाब नही दिया। एक हफ्ते में केंद्र सरकार जवाब दे।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मामले भी हुए हैं जहां गैंगस्टर या हाई प्रोफाइल आरोपी निचली अदालतों के जजों को हाई कोर्ट के जजों को धमकाते हैं। वो शारीरिक या मानसिक तौर पर जजों को प्रताड़ित करते हैं। यहां तक कि वो वाट्सऐप और फेसबुक पर धमकी के संदेश देते हैं। अगर उनके पक्ष में फैसला नहीं आता तो वो न्यायपालिका की छवि खराब करते हैं। जजों को धमकाते हैं। जज अपने हेड से शिकायत करते हैं। मामलों की पुलिस या एजेंसियों को शिकायत दी जाती है तो कोई कार्यवाही नहीं की जाती। सीबाआइ, आइबी जैसी एजेंसियां न्यायपालिका से सहयोग नहीं करती।
सीजेआइ वी रमना ने एजी को कहा कि इस मामले में हम आपका सहयोग चाहते हैं। झारखंड सरकार के वकील ने कहा इस मामले में हमनें घटना के दिन ही 22 सदस्यीय एसआइटी का गठन किया था। दो लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ किया जा रहा है। 30 जुलाई को मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है। सीबीआइ ने कल से मामले की जांच शुरू कर दी
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इस पर सीजेआइ ने कहा कि इसका मतलब है कि आपने केस से हाथ धो लिए? सीजेआइ ने कहा कि आप देखिए, झारखण्ड में जज की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हुई। धनबाद कोल माफिया सक्रिय है। ऐसे में जज को व्यापक सुरक्षा देनी चहिए थी। ये राज्य की विफलता है।
झारखंड के धनबा द के जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी को एक सप्ताह में जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था, हालांकि शीर्ष कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि झारखंड हाईकोर्ट में चल रहे इस मामले में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा।
बीते दिनों धनबाद में मार्निंग वॉक पर निकले धनबाद के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद को पीछे से आ रहे ऑटो ने जानबूझकर धक्का मार दिया, जिसमें उनकी मौत हो गई।