आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चेतावनियों के बाद भी कई विभागों में अफसर टेंडर पुलिंग कराकर घोटाला करने से बाज नहीं आ रहें हैं। ऐसा ही एक मामले का खुलासा आज पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने किया है। साढ़े तीन अरब रुपये से भी ज्यादा के इस घोटाले को और भी ज्यादा संगीन इसलिए माना जा रहा है क्योंकि यह घोटाला सीएम योगी आदित्यनाथ से जुड़े एक विभाग से सामने आया है।
पूर्व आइपीएस और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने आज इसका खुलासा अपने कार्यालय में आयोजित एक प्रेसवार्ता में कई तर्क रखते हुए किया है। उनके इस खुलासे के बाद हड़कंप मच गया है। गोमतीनगर में आयोजित अपनी प्रेसवार्ता में अमिताभ ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र भेजकर सूचना विभाग के इस 369 करोड़ के घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
हुई दो तरह से गड़बड़ी
एएएस सुप्रीमो ने 19 टेंडरों से जुड़ी डिटेल जारी करते हुए मीडिया को बताया कि उन्हें सूचना विभाग में साल 2020 से 2024 के बीच प्रिंटिंग के 19 ऐसे टेंडर की जानकारी मिली है, जिनमे भारी गड़बड़ी है। यह गड़बड़ी दो तरह से की गयी है।
40 से 70 प्रतिशत तक बढ़ा दिया रेट
एक तो इन सभी टेंडर में विभाग द्वारा वास्तविक दर से लगभग 40-70 प्रतिशत बढ़ा कर अनुमानित दर निर्धारित किया गया है। इस प्रकार इन 19 टेंडर का अनुमानित दर 872.34 करोड़ रखा, जबकि उन कामों का वास्तविक दर मात्र रु 485.14 करोड़ है। ये टेंडर न्यूनतम बिडर को 854.28 में दिए गए, और इस प्रकार बढे अनुमानित दर के कारण सरकार को 369 करोड़ का स्पष्ट नुकसान हुआ है।
चार फर्म पर अफसरों ने लुटाया प्यारा, बाकी बेकार
इसके अलावा इन 19 टेंडर में सिर्फ चार फर्म, अम्बर प्रेस, प्रकाश पैकेजर, गोस्पेल प्रेस तथा ईथर प्रेस के तकनीकी बिड ही सभी टेंडर में बार-बार सही पाए गए, जबकि अन्य फर्मों के तकनीकी बिड को गलत ढंग से ख़ारिज कर निविदा से बाहर कर दिया गया है।
यह भी पढ़ें- निरीक्षण में कमिश्नर को वेटलैंड के काम व पार्क के टेंडर में मिली गड़बड़ी, LDA इंजीनियर को दी प्रतिकूल प्रवृष्टि
अमिताभ ने आगे बताया इन चार फर्म में भी एक फर्म प्राथमिक स्तर पर एक दूसरी फर्म का छद्म फर्म होना बताया गया। इसके अलावा भी तमाम ऐसे तथ्य हैं, जो गड़बड़ी का खुलासा करते करते हैं।
दस दिन पुरानी फर्म को दिया 16 करोड़ का काम
पूर्व आइपीएस ने उदाहरण देते हुए मीडिया को बताया कि ईथर प्रेस फर्म आठ जून 2021 को पंजीकृत हुई और उसे पंजीकरण के मात्र दस दिन बाद ही 18 जून 2021 को ही 16.63 करोड़ तथा 10 महीने बाद एक अप्रैल 2022 को 27.63 करोड़ का टेंडर अधिकारियों ने टेंडर भी दे दिया, जबकि जेम पोर्टल की शर्तों के अनुसार टेंडर के लिए कम से कम एक साल के अनुभव तीन सालों के ऑडिट रिपोर्ट की अनिवार्य आवश्यकता होती है।
समय सीमा का भी नहीं रखा ख्याल
इसी प्रकार अभिलेखों के अनुसार दो मामलों में उसी दिन घोषित करते हुए बिड को निर्धारित तारीख से पहले ही टेंडर खोल दिया गया और तीन मामलों में बिना सूचना दिए ही बिड को निर्धारित तिथि से पहले खोला गया।
प्रधानमंत्री से जुड़ी योजना में भी खेल से नहीं डरे!
पूर्व आइपीएस ने एक और उदाहरण देते हुए बताया कि आठ जुलाई 2021 को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए दिए गए 188 करोड़ के टेंडर में संबंधित तीनों फर्म के पास नॉन-वुवेन बैग का आवश्यक योग्यता नहीं होने के बाद भी उन्हें इतना बड़ा टेंडर दे दिया गया।
अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री से स्वयं उनके विभाग के इन गंभीर अनियमितताओं के आरोपों की बिना देर किए हुए जांच कराकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।