आरयू ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सभी स्कूलों में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ को अनिवार्य करने का ऐलान किया है। साथ ही कहा कि वंदे मातरम का विरोध न केवल अनुचित है, बल्कि ये भारत के विभाजन के पीछे एक दुर्भाग्यपूर्ण कारण भी रहा है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब प्रदेश के हर स्कूल में वंदे मातरम का गायन अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
सोमवार को गोरखपुर में ‘एकता यात्रा’ और राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के सामूहिक गायन के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसको संबोधित कर सीएम योगी ने कहा कि आप याद करिए एक ऐसा गीत जिसने पूरे भारत की सोई हुई चेतना को जागरूक किया हो। हर क्रांतिकारी ‘वंदे मातरम’ का उद्घोष करके देश की आजादी के आंदोलन में कूद पड़ा था।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए योगी ने आगे कहा कि ये मंत्र भारत की आजादी का कारण बना, उस मंत्र को भी सांप्रदायिक कहकर उसमें संशोधन करने का प्रयास कांग्रेस ने किया। कांग्रेस ने कहा कि पांच और छह छंद को क्यों पड़ना है, दो छंद में ही हो जाएगा।
साथ ही कहा कि “ये वही लोग हैं जो सरदार पटेल की जयंती में शामिल नहीं होते, लेकिन जिन्ना को सम्मान देने वाले कार्यक्रमों में भाग लेते हैं.” उन्होंने वंदे मातरम के विरोध को राष्ट्रविरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया और कहा कि ऐसे विचारों को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। योगी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “अगर देश में कोई दोबारा जिन्ना पैदा होने की कोशिश करता है, तो उसे हम यहीं जिंदा दफन कर देंगे।”
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘वंदे मातरम के खिलाफ विषवमन हो रहा है। जिस कांग्रेस के अधिवेशन में 1896-97 में स्वयं गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने पूरे वंदे मातरम का गायन किया था और 1896 से लेकर 1922 तक कांग्रेस के हर अधिवेशन में वंदे मातरम का गायन होता था, लेकिन 1923 में जब मोहम्मद अली जौहर कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो वंदे मातरम का गायन शुरू होते ही वह उठकर चले गए। उन्होंने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया। वंदे मातरम का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था।’
हमला जारी करते हुए सीएम ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मोहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल करके वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो भारत का विभाजन नहीं होता। उन्होंने दावा किया, ‘बाद में कांग्रेस ने वंदे मातरम में संशोधन करने के लिए एक कमेटी बनाई। 1937 में रिपोर्ट आई और कांग्रेस ने कहा कि इसमें कुछ ऐसे शब्द हैं जो भारत माता को दुर्गा के रूप में, लक्ष्मी के रूप में, सरस्वती के रूप में प्रस्तुत करते हैं, इनको संशोधित कर दिया जाए।’
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गीत धरती माता की उपासना का गीत है और हम सब के संस्कार हैं कि धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं और पुत्र होने के नाते अगर मां के सम्मान में कहीं कोई आंच आती है तो हमारा दायित्व बनता है कि हम उसके खिलाफ खड़े हों। उन्होंने कांग्रेस पर हमले जारी रखते हुए कहा, ‘लेकिन कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति दुर्भाग्य से 1947 में देश के विभाजन का कारण भी बनी और आज भी हम सब यह मानते थे कि जो लोग भारत के अंदर हैं वे सभी भारत के प्रति निष्ठावान होकर भारत की एकता और अखंडता के लिए कार्य करेंगे, लेकिन जब अखिल भारतीय स्तर पर वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजन प्रारंभ हुए तो फिर वही स्वर फूटना प्रारंभ हो गए।’




















