आरयू ब्यूरो, लखनऊ। दिव्यांगजनों को जब भी अवसर मिला उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। ऋषि अष्टावक्र, मध्यकालीन संत सुकरात, वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग और जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य इसके उदाहरण हैं। चीन में संपन्न हुए पैरा एशियाई खेलों को ही देखें तो हमारे पैरा खिलाड़ियों ने 111 मेडल जीते हैं। सामान्य नागरिक तुलना में दिव्यांगजनों का प्रदर्शन हमेशा बेहतरीन रहता है।
उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के अटल ऑडिटोरियम आयोजित विश्व दिव्यांग दिवस के कार्यक्रम को संबोधित कर कही। इस दौरान सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम देश में लागू किया था। उसी कड़ी में राज्य सरकार के द्वारा भी इस अधिनियम को पूर्ण रूप से अंगीकृत किया गया।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने दिव्यांगजन कल्याण से जुड़ी हुई योजनाओं की धनराशि में वृद्धि की है। पहले दिव्यांगजनों को 300 रुपए प्रतिमाह पेंशन की सुविधा मिलती है। वर्तमान में इसे बढ़ाकर हमने 1000 रुपए मासिक कर दिया है। आज प्रदेश के लगभग दस लाख दिव्यांगजन इस सुविधा का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि 2016-17 के बजट में प्रदेश के दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए मात्र 312 करोड़ रुपए का प्रावधान था। वर्तमान में हमारी सरकार ने इसे बढ़ाकर 1120 करोड़ रुपए कर दिया है। कुष्ठ रोग से जो ग्रस्त दिव्यांगजनों को पहले ढाई हजार रुपए की पेंशन मिलती थी। इसे बढ़ाकर हमने तीन हजार रुपए कर दिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 में प्रदेश के अंदर कुल 305000 दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग उपकरण वितरण की कार्रवाई को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया गया है।
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कार्यक्रम में सीएम योगी ने सामाजिक संस्थाओं एवं विशेष विद्यालयों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। साथ ही उन्होंने दिव्यांगजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं, नियोक्ताओं, सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग कर्मचारियों को राज्य स्तरीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया। इसके अलावा सीएम योगी ने कार्यक्रम में दिव्यांगों को कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण भी वितरित किए। साथ ही उन्होंने विशेष विद्यालयों के मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया।
कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण के राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार नरेन्द्र कश्यप, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव दिव्यांगजन सशक्तीकरण सुभाष चंद्र शर्मा, डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर केपी सिंह, अध्यापक, छात्र-छात्राएं और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।