आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। जिसके बाद से राजभर के तेवर बदल गए है। वहीं बुधवार को ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि सीएम योगी पिछड़े समाज के लिए काम कर रहे, जबकि अखिलेश यादव ने पिछड़ों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने भर व राजभर जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की अपील की है।
बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुभासपा अध्यक्ष राजभर ने कहा कि उन्होंने कल मुख्यमंत्री योगी से मिलकर ‘राजभर जाति को एसटी का दर्जा दिलाने की बात कही थी और मेरे अनुरोध पर मुख्यमंत्री योगी सहमत हैं।’ उन्होंने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए कहा की दोनों पिछड़ों के लिए काम कर रहे हैं। ओपी राजभर कहा कि उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए सीएम ने समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिया है कि राजभर जाति के मुद्दों का हल करें। उन्होंने बताया कि सीएम से माफिया की आड़ में गरीबों के मकान न गिराए जाने का भी अनुरोध किया है।
इस दौरान ओम प्रकाश राजभर ने अपनी पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी से अपील की है कि वो जहां कहीं भी हों समर्पण कर दें। मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात के एक दिन बाद सुभासपा अध्यक्ष की इस अपील को सियासी तौर पर अहम माना जा रहा है, हालांकि राजभर ने कहा कि इस मामले में उनकी सीएम योगी से कोई बात नही हुई है।
मीडिया से बातचीत में राजभर ने कहा कि हम 26 सितंबर से सावधान यात्रा निकालेंगे। मुख्यमंत्री योगी ने मुझसे विस्तार से बात की कहा कि राजभर समाज को एसटी का दर्जा दिया जाएगा। हम समाज की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने सिर्फ सपना दिखाया है। जब वह सत्ता में थे तो इसका प्रस्ताव क्यों नहीं भेजा। सावधान यात्रा में मैं खुद जिलों में जाऊंगा और लोगों को जागरुक करूंगा।
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मालूम हो कि राजभर की पार्टी सुभासपा ने सपा के साथ मिलकर यूपी का विधानसभा चुनाव लड़ा था। सपा को हार मिलने के बाद वह उनसे अलग हो गए और अखिलेश यादव पर तल्ख टिप्पणियां की थी। राजभर ने कहा था कि अखिलेश यादव एसी कमरों के बाहर नहीं निकलते हैं जबकि राजनीति ऐसे नहीं हो सकती है। जिस पर अखिलेश यादव ने भी कहा था कि जिसे जाना हो वो जा सकता है।
राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया था जबकि सपा ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन किया था। यहीं से सपा व सुभासपा के रास्ते अलग हो गए और राजभर अखिलेश पर तल्ख टिप्पणियां करने लगे।