आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कांग्रेस ने बुधवार को एक बार फिर योगी सरकार को निशाने पर लिया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कहा है कि एक तरफ मुख्यमंत्री को ‘‘बेस्ट परफार्मर सीएम’’ का तमगा दिया जाता है, वहीं उनके खुद के क्षेत्र गोरखपुर में नौनिहाल कुपोषण, अल्प पोषण, बाल मृत्यु और बच्चों के शारीरिक विकास के अवरूद्धता से पीड़ित हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आए दिन देश के भविष्य नौनिहाल कुपोषण के शिकार होकर अपनी जान गंवा रहे हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री झूठे विज्ञापनों में करोड़ों रूपये बहाकर अपने सरकार की छवि चमकाने के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। यह प्रदेश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
अजय कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 68 प्रतिशत नौनिहाल कुपोषण से ग्रसित हैं। करीब 40 से 50 फीसदी शून्य से पांच वर्ष के बीच के बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और एक साल तक के बच्चों की मौतों के मामले में यूपी अव्वल है। इतना ही नहीं यूपी की 11 से 18 वर्ष के बीच की 92 प्रतिशत बेटियां कुपोषण और एनीमिया की शिकार है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत ही दयनीय है।
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आंकड़ों पर आज मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यहां प्रति हजार लोगों में 0.63 प्रतिशत डाक्टर और 1.5 प्रतिशत अस्पताल हैं। आशा वर्कर और आंगनबाड़ी कार्यकत्री के हजारों पद खाली हैं तथा आंगनबाड़ी संस्थाओं के लिए अनुमोदित मद पूरा खर्च नहीं हो रहा है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि गोरखपुर और बस्ती मण्डल में बच्चे जापानी बुखार, डायरिया और कुपोषण से सबसे ज्यादा ग्रसित हैं। साथ ही महाराजगंज, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं।
कुपोषण से होती है प्रदेश में हर तीन में से दो बच्चों की मौत
प्रदेश में हर तीन में से दो बच्चों की मौत कुपोषण से होती है। केंद्र सरकार द्वारा पोषण पुर्नवास केन्द्रों को आवंटित पैसा खर्च नहीं हो रहा है। साथ ही मिड डे मील में खराब क्वालिटी का खाना दिया जाता है जिससे बच्चों का सारीरिक एवं मानसिक विकास नहीं हो रहा है।
वहीं प्रदेश अध्यक्ष ने ये भी कहा कि हाल ही में जनपद बस्ती के कप्तानगंज थाने के ओझा गंज गांव के निवासी हरीश चंद्र का पूरा परिवार कुपोषण की भेंट चढ़ गया। हरिश्चंद्र की दो बेटियां, एक बेटा और पत्नी की कुपोषण से मौत हो चुकी है। प्रदेश सरकार की नाकामी के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है और प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।