आरयू वेब टीम। हाल ही में जनता के वोट चोरी व हेराफेरी को लेकर बड़े आरोप झेल रहे चुनाव आयोग ने बड़ा कदम 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की मानरूता कैंसिल कर दी है। ये दल कर छूट सहित कई विशेषाधिकार प्राप्त कर रहे थे, लेकिन 2019 से अब तक एक भी लोकसभा, विधानसभा या उपचुनाव में हिस्सा नहीं लिया। आयोग के अनुसार, ये सभी दल विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित हैं।
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जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकरण प्राप्त किसी भी राजनीतिक दल को कर छूट जैसे कुछ लाभ दिए जाते हैं, लेकिन चुनावी गतिविधि न होने पर पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत जून में हुई थी, जब आयोग ने पाया कि तीन हजार से अधिक आरयूपीपी में से करीब 350 दल वर्षों से सक्रिय नहीं हैं। इसके बाद संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इन दलों को कारण बताओ नोटिस जारी करने और सुनवाई का अवसर देने के निर्देश दिए गए।
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वहीं समीक्षा के बाद ये स्पष्ट हुआ कि 334 दल छह साल से किसी भी चुनावी मैदान में नहीं उतरे। अब देश में छह राष्ट्रीय, 67 राज्य स्तरीय और 2854 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल बचे हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि पंजीकरण के नियम स्पष्ट हैं। यदि कोई पार्टी लगातार छह वर्ष चुनाव नहीं लड़ती, तो उसे सूची से हटा दिया जाएगा।
पंजीकरण रद्द होने के बाद ये दल अब आरपी एक्ट की धारा 29बी और 29सी के तहत किसी लाभ के पात्र नहीं रहेंगे। हालांकि, आयोग के इस आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर अपील की जा सकती है।