आरयू वेब टीम। भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। देश के लोगों को सरकार का अभाव नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए। यह बातें शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून मंत्रियों व कानून सचिवों से अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आज पीएम ने कहा कि हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है। हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है। आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा, तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा हमें सही दिशा में भी ले जाएगी और हमें लक्ष्य तक भी पहुंचायेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने डेढ़ हज़ार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे थे।
पीएम ने गरीबों के लिए लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट की बात करते हुए कहा, “कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे। इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा।”
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इसके साथ ही पीएम ने मातृभाषा को बढ़ावा देने के संदर्भ में कहा कि युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा, कानून से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो,हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो,इसके लिए हमें काम करना होगा।