आरयू वेब टीम। देश की राजधानी दिल्ली व एनसीआर में एक बार फिर प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक होता जा रहा है। दिल्ली में ऑड-ईवन का शुक्रवार को आखिरी दिन भी है, लेकिन शुरूआत में हवा में प्रदूषण का स्तर कम होने के बाद तीन दिनों से लगातार इसकी बढ़ोतरी से लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है।
शुक्रवार की बात की जाए तो राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्ट 700 के ऊपर बना हुआ है जो बेहद ही गंभीर स्तर है। दिल्ली के पूसा रोड में 777 और अशोक विहार में एयर क्वालिटी इंडेक्स 757 है, तो ओखला 722 है। इसके अलावा, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के पास 733 और आरकेपुरम में 628 है। वहीं लोधी रोड पर जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के ऊपर है, वहीं आईटीओ पर यह 489 के स्तर पर नजर आया। गाजियाबाद में 516, नरेला में 800 और मुंडका में 818 के स्तर पर बना हुआ है। प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए आज भी दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों की छुट्टी रखी गई है।
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वहीं इससे पहले गुरुवार को भी दिल्ली, हरियाणा और पंजाब स्मॉग की चादर में लिपटे रहे। इसकी वजह से दृश्यता बेहद कम रही। राजधानी दिल्ली में सुबह आठ बजे दृश्यता महज 500 मीटर दर्ज की गई। दिन में भी 800 मीटर से अधिक नहीं बढ़ पाई। सामान्य तौर पर इसका स्तर ढाई हजार से तीन हजार मीटर तक रहता है।
हालात के मद्देनजर दिल्ली-एनसीआर के सभी स्कूल गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी बंद रहें। प्रदूषण की रोकथाम से जुड़ी कमिटी ईपीसीएके इस आदेश को दिल्ली, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और फरीदाबाद जिला प्रशासन ने मान लिया है।
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राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा चार नवंबर से शुरू की गई ऑड-ईवन योजना का आज आखिरी दिन है। प्रदूषण को देखते हुए इसे आगे बढ़ाए जाने के आसार हैं। पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके संकेत दिए थे। कहा गया था कि जरूरत पड़ने पर इस योजना को आगे बढ़ाया जा सकता है।
दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली
वहीं इस जानलेवा प्रदूषण के लिए काफी हद तक जिम्मेदार पराली जलाने की घटनाएं अब भी रुकने का नाम नहीं ले रहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भी दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाने के कई मामले सामने आए हैं। एक अक्टूबर से 12 नवंबर तक पंजाब में पराली जलाने के 46 हजार 211, वहीं हरियाणा में पांच हजार 807 मामले सामने आए हैं। सरकार की वायु गुणवत्ता पर नजर रखने वाली सफर के मुताबिक फिलहाल 22 प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने की वजह से है।