आरयू ब्यूरो
लखनऊ। नोटबंदी को लेकर एक बार फिर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने नरेन्द्र मोदी पर हमला बोला है। बसपा सुप्रीमो ने आज कहा कि देश की जनता को डिजिटल लेने-देन के लिए लगातार नसीहत देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा व आरएसस को इसके लिए क्यों बाध्य नहीं करते।
इस बारे में वह देश को भी कुछ नहीं बताते, जबकि भाजपा व आरएसएस का आस्तित्व ही कैश लेन-देन पर टिका हुआ है। देश के जनता की नोटबंदी के जरिए अग्नि परीक्षा लेने के बाद डिजिटल लेन-देन से पहले उन्हें इस बारे में भी अपना पक्ष साफ करना चाहिए, जिससे की उनकी कथनी ओर करनी के बीच जमीन आसमान का अंतर न रह जाए।
’ऊँची दुकान, फीका पकवान’ जैसा रहा देश के नाम संबोधन’
बसपा सुप्रीमो ने अपने एक बयान में कहा कि नोटबंदी के बाद भारी दिक्कत उठा रही जनता नरेन्द्र मोदी से नववर्ष की पूर्व संध्या पर बड़ी राहत देने वाली घोषणा की उम्मीद लगाए थी, लेकिन उनका भाषण हमेशा कि तरह ’उपदेशात्मक’ ही निकला।
लम्बे भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे देशवासियों में उम्मीद की किरण जागे साथ ही देश अविश्वसनीयता एवं अनिश्चितता के माहौल से उभर सके। देश की जनता को प्रधानमंत्री के ‘शुद्धि यज्ञ’ मे जलने के बाद भी कुछ नहीं मिला। 50 दिनों के लम्बे इंतजार के बाद लोगों का ध्यान बांटने के लिए कुछ ब्याज की दरों में छूट दे दी गई।
मायावती ने मोदी के सम्बोधन पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि क्या इतनी सी बातों के लिए ‘राष्ट्र के नाम सम्बोधन‘ जरूरी था। बसपा सुप्रीमो ने दावा किया कि कुल मिलाकर देखा जाए तो मोदी का सम्बोधन ’ऊँची दुकान, फीका पकवान’ से ज्यादा कुछ नहीं था।