आरयू इंटरनेशनल डेस्क।
दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने चार फरवरी को अपने 14 साल पूरे किए हैं। फेसबुक अपने यूजर्स को कुछ नया मुहैया कराने के लिए काम करता रहता है। इसी क्रम में अब फेसबुक ने कदम उठाया है। सामने आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने एक खास तकनीक के लिए पेटेंट एप्लिकेशन फाइल किया है, जो खुद ही यूजर्स के सामाजिक-आर्थिक स्टेटस की पहचान कर लेगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस नई तकनीक के जरिए फेसबुक अपनी यूजरबेस को तीन अलग-अलग वर्गों में बांट भी सकता है। जो कामकाजी वर्ग, मध्य वर्ग और उच्च वर्ग होगा। फेसबुक द्वारा फाइल किए गए पेटेंट के मुताबिक, कंपनी एक ऐसा सिस्टम तैयार करना चाहती है जो यूजर्स के निजी आंकड़ों को इकट्ठा कर उनका विश्लेषण कर उसकी सामाजिक-आर्थिक हैसियत का अंदाजा लगा सकती है।
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इन निजी आंकड़ों में शिक्षा, मकान-स्वामित्व और इंटरनेट का इस्तेमाल भी शामिल हैं। फेसबुक के इस पेटेंट को शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया है। इसमें एक ऐसे एल्गोरिदम का सुझाव दिया गया है, जो फेसबुक की क्षमताओं में सुधार कर सकता है, जिससे वह यूजर्स को अधिक प्रासंगिक विज्ञापन दिखा सकेगा। पेटेंट में कहा गया है, अपने यूजर्स के सामाजिक-आर्थिक हैसियत का अंदाजा लगाने से उसे (फेसबुक) थर्ड पार्टी के विज्ञापन टारगेट यूजर्स तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
20 करोड़ खाते हैं फर्जी
इसके अलावा, फेसबुक ने पिछले दिनों अपने यूजरबेस में फर्जी खातों के बारे में जानकारी दी थी। कंपनी ने बताया है कि उसके लगभग 20 करोड़ खाते फर्जी या फिर एक ही व्यक्ति के दोहरे खाते हो सकते हैं। फेसबुक ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा, 2017 की चौथी तिमाही में हमारा अनुमान है कि नकली या डुप्लीकेट अकाउंट की हिस्सेदारी हमारे मंथली एक्टिव यूजर्स (एमएयू) का लगभग दस प्रतिशत है।
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इतना ही नहीं, भारत उन देशों में है, जहां इस तरह के खातों की संख्या बहुत अधिक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया, हमारा मानना है कि अधिक विकसित बाजारों की तुलना में भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे विकासशील बाजारों में इस तरह के नकली अथवा प्रतिरूप खातों की संख्या अधिक है।
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